धरा-गगन के जो नज़ारे हैं
तुम जैसे मुझको प्यारे हैं
चीते ने ली तुमसे चपलता
हिरन को मिली चंचलता
सूरज ने तेज तुमसे ही तो लिया है
चाँद की शीतलता तुम्हारा दिया है
पर्वतों ने लिया सौम्य बड़ापन
नदियों ने चंचल सा बालपन
तारों ने राह सुझाने का कौशल
सरोवर ने नीर पिलाना निर्मल
व्योम ने बरसाना नेह नीर
जड़ी-बूटियों ने हरना पीर
मंद समीर ने ली तुमसे मनोहर चाल
नभ ने झुक चूमना धरती का भाल
क्यों न फिर भाए मुझे ये नज़ारे
दिखलाते हैं छवि तुम्हारे प्यारे.
12:13p.m., 5/7/10
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