था वादा भिगो स्नेह वर्षा में दोगे
था वादा भी संग मेघ वर्षा में डोलोगे
कहते थे कभी न पड़ने बुरी नजर दोगे
कहते थे बाहों में हरदम थामकर रखोगे
था वादा भी संग मेघ वर्षा में डोलोगे
कहते थे कभी न पड़ने बुरी नजर दोगे
कहते थे बाहों में हरदम थामकर रखोगे
न कहा नजर हरदम तेरी ही और होगी
न किया वादा तेरी हमराह मेरी डगर होगी
न किया वादा होठों से देह मेरी हमसफ़र होगी
सुन मेरी हिचकी दर्द का भान करते हो
वर्ना अस्तित्व मेरा भूले मुस्काए रहते हो
मेरे वीरानों में एक तुम ही तो साथी हो
मेले में भी रहते हरदम मेरे साथ ही हो
तुमने किये वादे कई दिवास्वप्न दिखाए भी
बीच राह छोड़ चल दिए डगर सब भुलाये भी
बिन वादे तुम्हारे सपनों को नैनों में लिया बसाये भी
फिरती रहती हूँ आज तक तेरी 'प्रीति' सीने से लगाये भी
1.03pm, 15/6/2012
SUPERB POST
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
बहुत बढिया
ReplyDeleteवाह ...बेहतरीन
ReplyDeleteकल 04/07/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
'' जुलाई का महीना ''
बिन वादे तुम्हारे सपनों को नैनों में लिया बसाये भी
ReplyDeleteफिरती रहती हूँ आज तक तेरी 'प्रीति' सीने से लगाये भी ...
ये प्रेम का गहरा एहसास है ... वर्ना कौन किसी के वादे कों जीता है यूं ही साथ लिए ... अच्छी रचना है ...
premras me dubi sundar rachna ke liye badhai...........
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...
ReplyDelete:-)
वादे भी बातें हैं -बातों का क्या !
ReplyDeleteप्रेम से परिपूर्ण
ReplyDeleteएहसास की अनुभूती
ReplyDeleteतुमने किये वादे कई दिवास्वप्न दिखाए भी
ReplyDeleteबीच राह छोड़ चल दिए डगर सब भुलाये भी
बिन वादे तुम्हारे सपनों को नैनों में लिया बसाये भी
फिरती रहती हूँ आज तक तेरी 'प्रीति' सीने से लगाये भी
वादे निभ जाते हैं निभाया नहीं जाता .
प्रेम खुद होता है करवाया नहीं जाता
न कहा नजर हरदम तेरी ही और होगी
ReplyDeleteन कहा मैंने तेरी उठती पलकों से भोर होगी
न किया वादा तेरी हमराह मेरी डगर होगी
न किया वादा होठों से देह मेरी हमसफ़र होगी
usane kaha par tumne koi vaada nahi kiya fir bhi vah n hokar bhi yaadon me bas gaya ..very nice ...