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Monday, July 2, 2012

तेरे वादे मेरे वादे


था  वादा  भिगो  स्नेह  वर्षा  में  दोगे
था  वादा  भी  संग  मेघ  वर्षा  में  डोलोगे
कहते  थे  कभी  न  पड़ने  बुरी  नजर  दोगे
कहते  थे  बाहों  में  हरदम  थामकर   रखोगे

न  कहा  नजर  हरदम  तेरी  ही  और  होगी  
न  कहा  मैंने  तेरी  उठती  पलकों  से  भोर  होगी
न 
किया  वादा  तेरी  हमराह  मेरी  डगर  होगी
न  किया  वादा  होठों  से  देह  मेरी  हमसफ़र  होगी

सुन मेरी  हिचकी  दर्द  का  भान  करते  हो
वर्ना  अस्तित्व  मेरा  भूले  मुस्काए  रहते  हो
मेरे  वीरानों  में  एक  तुम  ही  तो  साथी  हो
मेले  में  भी  रहते  हरदम  मेरे  साथ  ही  हो

तुमने  किये  वादे  कई  दिवास्वप्न  दिखाए  भी
बीच  राह  छोड़  चल  दिए  डगर  सब  भुलाये  भी
बिन  वादे  तुम्हारे  सपनों  को 
नैनों  में  लिया  बसाये  भी
फिरती  रहती  हूँ  आज  तक  तेरी  'प्रीति' सीने से  लगाये  भी

1.03pm, 15/6/2012

12 comments:

  1. बहुत ही बढ़िया



    सादर

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  2. वाह ...बेहतरीन
    कल 04/07/2012 को आपकी इस पोस्‍ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.

    आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!


    '' जुलाई का महीना ''

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  3. बिन वादे तुम्हारे सपनों को नैनों में लिया बसाये भी
    फिरती रहती हूँ आज तक तेरी 'प्रीति' सीने से लगाये भी ...

    ये प्रेम का गहरा एहसास है ... वर्ना कौन किसी के वादे कों जीता है यूं ही साथ लिए ... अच्छी रचना है ...

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  4. premras me dubi sundar rachna ke liye badhai...........

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  5. वादे भी बातें हैं -बातों का क्या !

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  6. प्रेम से परिपूर्ण

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  7. एहसास की अनुभूती

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  8. तुमने किये वादे कई दिवास्वप्न दिखाए भी
    बीच राह छोड़ चल दिए डगर सब भुलाये भी
    बिन वादे तुम्हारे सपनों को नैनों में लिया बसाये भी
    फिरती रहती हूँ आज तक तेरी 'प्रीति' सीने से लगाये भी

    वादे निभ जाते हैं निभाया नहीं जाता .
    प्रेम खुद होता है करवाया नहीं जाता

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  9. न कहा नजर हरदम तेरी ही और होगी
    न कहा मैंने तेरी उठती पलकों से भोर होगी
    न किया वादा तेरी हमराह मेरी डगर होगी
    न किया वादा होठों से देह मेरी हमसफ़र होगी

    usane kaha par tumne koi vaada nahi kiya fir bhi vah n hokar bhi yaadon me bas gaya ..very nice ...

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आपने अपना बहुमूल्य समय दिया एवं रचनात्मक टिप्पणी दी, इसके लिए हृदय से आभार.