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हृदय के उदगारों को शब्द रूप प्रदान करना शायद हृदय की ही आवश्यकता है.

आप मेरी शक्ति स्रोत, प्रेरणा हैं .... You are my strength, inspiration :)

Tuesday, October 30, 2012

वो आये




वो  आये  लिए
नव  प्रस्फुटित
सुकोमल, सुगन्धित
पुष्प  प्रचुर.
जीवनदायी
जल  से  भरे
मेघ  सम.
संग  लाये
नृत्य  में  मगन
मयूर.
शीतल  सरिता
जल  जीवन
जीवन  जल  लिए.
छाया  प्रदान  करते
बरसों  तक  जैसे
फलदार  तरुवर
वो  आये
बसने.

3.26pm, 30/10/2012

In English- http://prritiy.blogspot.in/2012/10/came-to-stay.html

Came to stay


He came
to stay,

along with
blooms-
fresh
fragrant
abundant,

water laden
clouds-
life-giving,

bringing along
dancing peacocks,

flowing river
water life's and
abundant
water,

perennial tree
bearing fruits
providing shade,

came
to
stay.

Tuesday, October 23, 2012

राज करना




कभी  महफिलों  में  राज  करने  की  तमन्ना    की 
दिल  के  आंगन  में  बसेरा  हो  बस  यही  दिन  रैन  दुआ  की

तन्हाई  भाती  थी  कि  सोचों  में  उन्मुक्त छाये  रहते  थे
आज  तन्हाई  गले  लगाती  है  किबहेंअश्क  जो  छुपे  थे
कभी  दगा  करें  मिलेसोचा  नहीं  होगा  किसी  ने  भी
फिर  क्यूँ  हिस्से  में  आते  हैंबहते  आंसू  औरजुदाई  भी
कहें  क्या  किसी  को  और  क्या  दोष  देना  इस  दिल  की  लगी  को
लगाई  भी  दिल  ने  और  जुदाई  का  दर्द  भी  मिला  है  इस  दिल  को

महफिलों  से  है  घबराताहै  इच्छा,   तन्हाई  की
कभी  महफिलों  में  राज  करने  की  तमन्ना    की 
10.6pm, 22/10/2012

Monday, October 22, 2012

कभी - kabhi


कभी  तुम  इन्तजार  में  रहे
कभी  हम  इस  पार  आए  रहे
कभी  हवाओं  ने  जुल्फें  बिखराई
कभी  इन  फिजाओं  में  बदली  लहराई
कभी  राहों  में  बहार  छाई  रही
कभी  पंखुरियां  नजरें  बचाए  रही
कभी  आईना  आपकी  आँखों  को  बनाये  रहे
कभी  आईने  में  अपनी  भूली  सूरत  खोजते  रहे

11.19pm, 22/9/2012






Friday, October 12, 2012

तुम्हे बुलाती हैं- tumhe bulati hain




उन  अश्रु  बूंदों  में  उसकी  मोहक   छवि  झिलमिलाती  है 
वो  क्या  जाने  बिखरे  गेसू  उन  उँगलियों  को  बुलाती  हैं
सवेरे  की  पहली  किरण  मुस्कान  बनकर   जगाती   है
पुष्पों  का  झूमना  उनकी  आहटें  मेरे  दिल  को  सुनाती  हैं

वो  मेघों  का  भ्रमण  चपलता  के  किस्से  लगाता  है
पंछियों  की  चहचहाहट  ठिठोली  की  गूँज  सुनाती  हैं
मंद  पवन  का  बहना  स्पर्शों  की  अनुभूति  कराता  है
साँझ  की  बेला  शब्दों  के  मुखरित  पुष्प  रह-रह  बरसाते  हैं

नन्हे  बालकों  सा  तुम्हारा  भोलापन  अब  भी  मुझे  लुभाता  है
सुनो  ये  यादों  की  नदिया  की  लहरें  उछल-उछल  तुम्हे  बुलाती  हैं

7.20 pm, 12/10/2012