ब्लॉग में आपका स्वागत है

हृदय के उदगारों को शब्द रूप प्रदान करना शायद हृदय की ही आवश्यकता है.

आप मेरी शक्ति स्रोत, प्रेरणा हैं .... You are my strength, inspiration :)

Tuesday, October 23, 2012

राज करना




कभी  महफिलों  में  राज  करने  की  तमन्ना    की 
दिल  के  आंगन  में  बसेरा  हो  बस  यही  दिन  रैन  दुआ  की

तन्हाई  भाती  थी  कि  सोचों  में  उन्मुक्त छाये  रहते  थे
आज  तन्हाई  गले  लगाती  है  किबहेंअश्क  जो  छुपे  थे
कभी  दगा  करें  मिलेसोचा  नहीं  होगा  किसी  ने  भी
फिर  क्यूँ  हिस्से  में  आते  हैंबहते  आंसू  औरजुदाई  भी
कहें  क्या  किसी  को  और  क्या  दोष  देना  इस  दिल  की  लगी  को
लगाई  भी  दिल  ने  और  जुदाई  का  दर्द  भी  मिला  है  इस  दिल  को

महफिलों  से  है  घबराताहै  इच्छा,   तन्हाई  की
कभी  महफिलों  में  राज  करने  की  तमन्ना    की 
10.6pm, 22/10/2012

4 comments:

  1. महफिलों से है घबराता, है इच्छा, तन्हाई की
    कभी महफिलों में राज करने की तमन्ना न की
    very nice

    ReplyDelete
  2. वाह||| बहुत ही सुन्दर...
    भावपूर्ण रचना...
    :-)

    ReplyDelete
  3. विजयदशमी की बहुत बहुत शुभकामनाएं

    बढिया, बहुत सुंदर
    क्या बात

    ReplyDelete
  4. विजयदशमी की बहुत बहुत शुभकामनाएं

    ReplyDelete

Thanks for giving your valuable time and constructive comments. I will be happy if you disclose who you are, Anonymous doesn't hold water.

आपने अपना बहुमूल्य समय दिया एवं रचनात्मक टिप्पणी दी, इसके लिए हृदय से आभार.