वो चंद लफ्ज जो थे दोनों के दरमियाँ
वो लफ्ज़ जिंदगी को नए मायने दे गए ....
8.56pm
तेरी उस तस्वीर को हवा भी छूती थी, कैसे सहता
दिल में तस्वीर को लगाया है जो जहां से भी छुपी है..
9.15pm
कुछ यूँ मजबूर हो उनकी जिंदगी
के लिए, उनसे वफ़ा निभाई
मुझे बेवफा
जान, मेरी तस्वीर उसने दिल-ओ-दिमाग से हटा दी10.12pm
23/9/2012
ReplyDeleteवो चंद लफ्ज जो थे दोनों के दरमियाँ
वो लफ्ज़ जिंदगी को नए मायने दे गए ....अभी भी चलाये हैं वही लफ्ज़ ज़िन्दगी को . ........ज़िन्दगी
बढ़िया मुक्तक है .
तेरी उस तस्वीर को हवा भी छूती थी, कैसे सहता
दिल में तस्वीर को लगाया है जो जहां से भी छुपी है..
शीशा- ए- दिल में बसी तस्वीरे यार ,
जब ज़रा गर्दन झुकाई ,देख ली .
सीख वाकू दीजिए जाकू सीख सुहाय ,
सीख वाकू दीजिए जाकू सीख सुहाय ,
सीख न बांदरा दीजिए ,बैया का घर जाय .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/10/blog-post_1.html
ram ram bhai
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सोमवार, 1 अक्तूबर 2012
ब्लॉग जगत में अनुनासिक की अनदेखी
बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
तस्वीर शब्दों की बहुत उम्दा सी कुछ बनाई
ReplyDeleteदिख भी रही है और छूना भी मुमकिन नहीं !
बढ़िया..
ReplyDeleteक्या बात
ReplyDeleteबढिया
जब भी समय मिले, मेरे नए ब्लाग पर जरूर आएं..
http://tvstationlive.blogspot.in/2012/09/blog-post.html?spref=fb
सुंदर
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