ये खोये से पल क्यूँ अच्छे लगते हैं
हैं दूर फिर ये हाथ क्यूँ अच्छे लगते हैं
1.47pm, 22/9/2012
ये तेरा सच ये मेरा सच
जान ना ले-ले कहीं तेरी मेरी ...
10.38pm
हँसी उसकी खो गई तुमसे दूर होकर
तुम्हे ही तो सौंप गई थी वो अपनी हँसी ....
10.41pm
वो राज दिल में छुपाये हम खामोश रहे
ना जानते थे नजरें बयां कर देंगी सारा फ़साना...
हमने हाल-ए-दिल जो उनसे कह दिया इशारों में
वो परदानशीं हो खो गए इन मदमस्त बहारों में
मेरी हथेलियों में तू हर ओर सजा है
बस सबसे तुझे लकीरों में छुपा रखा है
11.19pm
सुना था वक़्त बदल देता है लकीरें हथेली की
हमने धार दे कर लहू से सजा दिया उनका नाम
11.24pm
हमने अपनी बेरुखी के उनके वहम को जिन्दा रखा
कि कहीं दूर होने पर वो स्वयं से दूर ना हो जायें..
11.35pm, 25/9/2012
तेरे होंठों को हंसी ना दे सके ये गम है
तेरे गम की एक वजह हम हैं ये गम है
1.23am, 26/9/2012
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteहमने हाल-ए-दिल जो उनसे कह दिया इशारों में
वो परदानशीं हो खो गए इन मदमस्त बहारों में
बहुत सुन्दर रचना..
ReplyDeleteअपने भावो को बहुत सुंदरता से तराश कर अमूल्य रचना का रूप दिया है.
ReplyDeletebahut sunder
ReplyDeleteतेरे होंठों को हंसी ना दे सके ये गम है
ReplyDeleteतेरे गम की एक वजह हम हैं ये गम है..waah
बढ़िया रचना.... भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति
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