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हृदय के उदगारों को शब्द रूप प्रदान करना शायद हृदय की ही आवश्यकता है.

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Friday, September 21, 2012

कुछ - kuchh


कुछ  अनकही  बातें
कुछ  अनदेखी  रातें
कुछ  देखे  पर  अनदेखे  ख्वाब
कुछ  चाही  हुई  अनचाही  चाहतें
कुछ  जो  तुमने  कही  मैंने  सुनी
कुछ  जो  ना  मैंने  कही  ना  तुमने  कही
कुछ  जो  बिन  कहे  कह  गए  थे  हम
कुछ  पल  जो  बिन  मिले  मिल  गए  थे  हम
कुछ  बस  कुछ  रहने  दो  यूँही  मौन
कुछ  बस  कुछ  मेरी  तुम्हारी  बातें

11.04pm
20/9/2012

7 comments:

  1. Bate,bate,bate ... Ye kahi an kahi baate yun hi hoti rahen umr bhar ... Jeevan guzarta rahe ...

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  2. kitni hi ankahi batein kitni andekhi mulakatein.........

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  3. kya khub kaha hai apne
    kabhi hamare blog pe jarur aye

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  4. कुछ अनकही बातें
    जो हमने कही है
    आँखों ही आँखों से..
    बहुत सुन्दर...
    :-)

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  5. खूबसूरत रचना |
    मेरी नई पोस्ट:-
    ♥♥*चाहो मुझे इतना*♥♥

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  6. कुछ अनकही बातें
    जो हमने कही है
    .....प्रशंसनीय रचना - बधाई
    Recent Post…..नकाब
    पर आपका स्वगत है

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  7. बाते रह ही जाती है अधूरी
    कभी नहीं हो पाती है पूरी
    संकोचवश जो कहना था तुमसे कह नहीं पाया
    तुम्हारे घर के दरवाजे तक पहुँच
    बिना खटखटाए
    चुपचाप आज लौट आया
    किशोर ...aapki kavita bahut achchhi lagi

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आपने अपना बहुमूल्य समय दिया एवं रचनात्मक टिप्पणी दी, इसके लिए हृदय से आभार.