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मिले थे जब पहली बार हम
एक धुंधली सी तस्वीर थी तुम
तुम जब आई नजरों के सामने
सादगी से सजा रूप देखा सामने
बस जड़ तस्वीर हो गया था मैं
पुकारती ना तुम तो न जागता मैं
तुम्हारी सुगंध मुझमें बस रही थी
मेरी चाहत पल-पल खिल रही थी
न रहा भान दुनिया का कुछ भी
मुझमें थी समाई बस तुम, तुम ही
तुम्हारी चाहत ने दीवाना बना यूँ घेरा
अवश हुआ, न रहा धडकनों पर बस मेरा
मिलन संग अपने लाती है जुदाई
देता रहा मेरा दिल तड़प कर दुहाई
उस आग में मेरी रूह भी जलती रही
जो आग तुम्हारा रोम-रोम जलाती रही
तुम्हे खोने के डर ने दिन रात जलाया मुझको
मेरी दीवानगी के आलम ने ज्यूँ रुलाया तुमको
आज भी मन में वो प्रीत-दीप जलता है
अब और भी नेह ये दिल तुमसे करता है
तेरी प्रीत के शोले मेरा हृदय जलाते हैं
तेरी आँखों से बहते आंसू मुझे तड़पाते हैं
तुम होकर भी नहीं हो मेरी, जानता हूँ
सदा तेरी मुस्कान खिले, दुआ मांगता हूँ
11.59am, 8/12/2011
मिले थे जब पहली बार हम
एक धुंधली सी तस्वीर थी तुम
तुम जब आई नजरों के सामने
सादगी से सजा रूप देखा सामने
बस जड़ तस्वीर हो गया था मैं
पुकारती ना तुम तो न जागता मैं
तुम्हारी सुगंध मुझमें बस रही थी
मेरी चाहत पल-पल खिल रही थी
न रहा भान दुनिया का कुछ भी
मुझमें थी समाई बस तुम, तुम ही
तुम्हारी चाहत ने दीवाना बना यूँ घेरा
अवश हुआ, न रहा धडकनों पर बस मेरा
मिलन संग अपने लाती है जुदाई
देता रहा मेरा दिल तड़प कर दुहाई
उस आग में मेरी रूह भी जलती रही
जो आग तुम्हारा रोम-रोम जलाती रही
तुम्हे खोने के डर ने दिन रात जलाया मुझको
मेरी दीवानगी के आलम ने ज्यूँ रुलाया तुमको
आज भी मन में वो प्रीत-दीप जलता है
अब और भी नेह ये दिल तुमसे करता है
तेरी प्रीत के शोले मेरा हृदय जलाते हैं
तेरी आँखों से बहते आंसू मुझे तड़पाते हैं
तुम होकर भी नहीं हो मेरी, जानता हूँ
सदा तेरी मुस्कान खिले, दुआ मांगता हूँ
11.59am, 8/12/2011
तेरी प्रीत के शोले मेरा हृदय जलाते हैं तेरी आँखों से बहते आंसू मुझे तड़पाते हैं तुम होकर भी नहीं हो मेरी, जानता हूँ सदा तेरी मुस्कान खिले, दुआ मांगता हूँ
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत लगी आपकी यह प्रस्तुति.
भावपूर्ण और दिल को कचोटती हुई आशिक की
सुन्दर दुआ का प्रस्तुतीकरण बहुत अनुपम है.
आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,प्रीति जी.
आपका इंतजार करता रहता हूँ अपने ब्लॉग पर.
यूँ न भुलाईयेगा,प्लीज.
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आकर आपने सुन्दर टिप्पणियाँ की,
ReplyDeleteइसके लिए आपका हृदय से आभारी हूँ.
आपकी प्रेरक टिप्पणियाँ मुझमें उत्साह का
संचार करतीं हैं.
बहुत सच्चे और अच्छे भाव ....सुंदर
ReplyDeleteसच्चे प्रेम में ऐसी ही तड़प और प्रिय के लिए होठों पर दुआ होती है. प्रेम की बहुरंगी कविता.
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteयह कविता भी अच्छी बन पड़ी है.
वाह ।
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखती हैं आप।
सादर
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जो मेरा मन कहे पर आपका स्वागत है
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा प्रीति जी.
ReplyDeleteनई पोस्ट 'हनुमान लीला भाग-२'पर
आपका हार्दिक स्वागत है.
आपको पढ़ना अच्छा लगा ... कुछ रचनाएँ पढ़ ली हैं ..अधूरापन मन को झकझोर गयी ...
ReplyDeleteनयी पुरानी हल्चाल्पर आने के लिए शुक्रिया .. आपका कमेन्ट वहां दिख नहीं रहा है पर आपकी प्रतिक्रिया मुझे मिल गयी है ..आपको गामा पसंद आया उसके लिए शुक्रिया ..
कभी मेरे ब्लॉग पर भी आयें --
http://geet7553.blogspot.com/
IT IS THE BEST POST
ReplyDeleteआपने मेरे ब्लॉग पर आकर सुंदर 'प्रीति' की अनुपम 'स्नेह'ज्योति जलाई.
ReplyDeleteआपके निश्छल प्रेम का हृदय से शुक्रिया.
आने वाले नव वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएँ.
प्रेमपरक सुन्दर रचना.
ReplyDeleteनव वर्ष की अग्रिम शुभ कामनाएँ
ReplyDeleteमैं पुकारती ना तुम तो न जागता मैं तुम्हारी सुगंध मुझमें बस रही थी मेरी चाहत पल-पल खिल रही थी न रहा भान दुनिया का कुछ भी मुझमें थी समाई बस तुम, तुम ही तुम्हारी चाहत ने दीवाना बना यूँ घेरा अवश हुआ, न रहा धडकनों पर बस मेरा मिलन संग
ReplyDelete...sundar prempagi rachna..
अति सुन्दर..
ReplyDeleteतुम होकर भी नहीं हो मेरी, जानता हूँ
ReplyDeleteसदा तेरी मुस्कान खिले, दुआ मांगता हूँ ..very nice