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Sunday, December 11, 2011

तेरी मुस्कान खिले

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मिले  थे  जब  पहली  बार  हम
एक  धुंधली  सी  तस्वीर  थी  तुम
तुम  जब  आई  नजरों  के  सामने
सादगी  से  सजा  रूप  देखा  सामने
बस  जड़  तस्वीर  हो  गया  था  मैं
पुकारती  ना  तुम  तो  न  जागता  मैं


तुम्हारी  सुगंध  मुझमें  बस  रही  थी
मेरी  चाहत  पल-पल  खिल  रही  थी
न  रहा  भान  दुनिया  का  कुछ  भी
मुझमें  थी  समाई  बस  तुम,  तुम  ही
तुम्हारी  चाहत  ने  दीवाना  बना  यूँ  घेरा
अवश  हुआ, न  रहा  धडकनों  पर   बस  मेरा

मिलन  संग  अपने  लाती  है  जुदाई
देता  रहा  मेरा  दिल  तड़प  कर  दुहाई
उस  आग  में  मेरी  रूह  भी  जलती  रही
जो  आग  तुम्हारा  रोम-रोम  जलाती  रही
तुम्हे  खोने  के  डर  ने  दिन  रात  जलाया  मुझको
मेरी  दीवानगी  के  आलम  ने  ज्यूँ  रुलाया  तुमको

आज  भी  मन  में  वो  प्रीत-दीप  जलता  है
अब  और  भी  नेह  ये  दिल  तुमसे  करता  है
तेरी  प्रीत  के  शोले  मेरा  हृदय  जलाते  हैं
तेरी  आँखों  से  बहते  आंसू  मुझे  तड़पाते  हैं
तुम  होकर  भी  नहीं  हो  मेरी,  जानता  हूँ
सदा  तेरी  मुस्कान  खिले, दुआ  मांगता  हूँ

11.59am, 8/12/2011

16 comments:

  1. तेरी प्रीत के शोले मेरा हृदय जलाते हैं तेरी आँखों से बहते आंसू मुझे तड़पाते हैं तुम होकर भी नहीं हो मेरी, जानता हूँ सदा तेरी मुस्कान खिले, दुआ मांगता हूँ


    बेहद खूबसूरत लगी आपकी यह प्रस्तुति.
    भावपूर्ण और दिल को कचोटती हुई आशिक की
    सुन्दर दुआ का प्रस्तुतीकरण बहुत अनुपम है.

    आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,प्रीति जी.
    आपका इंतजार करता रहता हूँ अपने ब्लॉग पर.
    यूँ न भुलाईयेगा,प्लीज.

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  3. मेरे ब्लॉग पर आकर आपने सुन्दर टिप्पणियाँ की,
    इसके लिए आपका हृदय से आभारी हूँ.

    आपकी प्रेरक टिप्पणियाँ मुझमें उत्साह का
    संचार करतीं हैं.

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  4. बहुत सच्चे और अच्छे भाव ....सुंदर

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  5. सच्चे प्रेम में ऐसी ही तड़प और प्रिय के लिए होठों पर दुआ होती है. प्रेम की बहुरंगी कविता.

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  6. बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति..
    यह कविता भी अच्छी बन पड़ी है.

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  7. वाह ।

    बहुत अच्छा लिखती हैं आप।

    सादर
    ----

    जो मेरा मन कहे पर आपका स्वागत है

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  8. मेरे ब्लॉग पर आईयेगा प्रीति जी.
    नई पोस्ट 'हनुमान लीला भाग-२'पर
    आपका हार्दिक स्वागत है.

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  9. आपको पढ़ना अच्छा लगा ... कुछ रचनाएँ पढ़ ली हैं ..अधूरापन मन को झकझोर गयी ...

    नयी पुरानी हल्चाल्पर आने के लिए शुक्रिया .. आपका कमेन्ट वहां दिख नहीं रहा है पर आपकी प्रतिक्रिया मुझे मिल गयी है ..आपको गामा पसंद आया उसके लिए शुक्रिया ..

    कभी मेरे ब्लॉग पर भी आयें --

    http://geet7553.blogspot.com/

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  10. आपने मेरे ब्लॉग पर आकर सुंदर 'प्रीति' की अनुपम 'स्नेह'ज्योति जलाई.

    आपके निश्छल प्रेम का हृदय से शुक्रिया.
    आने वाले नव वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएँ.

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  11. प्रेमपरक सुन्दर रचना.

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  12. नव वर्ष की अग्रिम शुभ कामनाएँ

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  13. मैं पुकारती ना तुम तो न जागता मैं तुम्हारी सुगंध मुझमें बस रही थी मेरी चाहत पल-पल खिल रही थी न रहा भान दुनिया का कुछ भी मुझमें थी समाई बस तुम, तुम ही तुम्हारी चाहत ने दीवाना बना यूँ घेरा अवश हुआ, न रहा धडकनों पर बस मेरा मिलन संग
    ...sundar prempagi rachna..

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  14. तुम होकर भी नहीं हो मेरी, जानता हूँ
    सदा तेरी मुस्कान खिले, दुआ मांगता हूँ ..very nice

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आपने अपना बहुमूल्य समय दिया एवं रचनात्मक टिप्पणी दी, इसके लिए हृदय से आभार.