आपने इस रचना को पढ़ा था
http://prritiy.blogspot.com/2010/05/blog-post_6224.html
क्या कहूँ मैं तुमको
मैं जोगी
ओह! कैसा जोगी
नेह तेरे ने बांधा मुझको
या स्वयं मैं बंध गया
संग तुमको भी बाँध गया
बना चंद्रिके स्वयं मैं तुमको
स्वयं तुमसे ही विलग हुआ
विस्मित, क्यों तुमसे नेह हुआ
करके भी, न कर पाया दूर तुमको
बदली में आ समाई तुम चंद्रिके
कान्ति लिए मुख पर, नेह के
नहीं ज्ञात है अब भी मुझको
क्यूकर तुमसे जीवन जुड़ गया
भ्रमित था या अब भ्रम में पड़ गया
कैसे दूँ नेह प्रत्युतर तुमको
हूँ भ्रमित मैं तुम्हारा जोगी
कैसे कहूँ मैं चंद्रिके तुमको
6/10/11
http://prritiy.blogspot.com/2010/05/blog-post_6224.html
एक मित्र के अनुरोध पर इसके पुरुष रूप का प्रयास------- >
--------क्या कहूँ मैं तुमको
मैं जोगी
ओह! कैसा जोगी
नेह तेरे ने बांधा मुझको
या स्वयं मैं बंध गया
संग तुमको भी बाँध गया
बना चंद्रिके स्वयं मैं तुमको
स्वयं तुमसे ही विलग हुआ
विस्मित, क्यों तुमसे नेह हुआ
करके भी, न कर पाया दूर तुमको
बदली में आ समाई तुम चंद्रिके
कान्ति लिए मुख पर, नेह के
नहीं ज्ञात है अब भी मुझको
क्यूकर तुमसे जीवन जुड़ गया
भ्रमित था या अब भ्रम में पड़ गया
कैसे दूँ नेह प्रत्युतर तुमको
हूँ भ्रमित मैं तुम्हारा जोगी
कैसे कहूँ मैं चंद्रिके तुमको
6/10/11
IT IS TRUE .. WORLD IS TRUE...AND YOU INKED THIS TRUTH
ReplyDeleteSANJAY VARMA
अच्छे शब्द,
ReplyDeleteहूँ भ्रमित मैं तुम्हारा जोगी
ReplyDeleteकैसे कहूँ मैं चंद्रिके तुमको
आपके पोस्ट पर प्रथम बार आया हूँ । पोस्ट अच्छा लगा । मेरे पोस्ट पर आकर मेरा भी मनोबल बढ़ाएं । धन्यवाद ।
क्यूकर तुमसे जीवन जुड़ गया
ReplyDeleteभ्रमित था या अब भ्रम में पड़ गया
कैसे दूँ नेह प्रत्युतर तुमको
Nice lines
क्यूकर तुमसे जीवन जुड़ गया
ReplyDeleteभ्रमित था या अब भ्रम में पड़ गया
कैसे दूँ नेह प्रत्युतर तुमको
प्रीति जी,अदभुत भावपूर्ण प्रस्तुति है आपकी.
चित्र भी बहुत दिलकश है.
आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार है जी.
I really enjoyed this site. It is always nice when you find something that is not only informative but entertaining. Greet!
ReplyDeleteFrom everything is canvas
बहुत बढ़िया ...गहन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteखूबसूरत अदाज़. नेह से मजबूत कोई धागा नहीं होता.
ReplyDeleteबेहतरीन रचना..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना के साथ सटीक चित्रण...
ReplyDelete