ब्लॉग में आपका स्वागत है

हृदय के उदगारों को शब्द रूप प्रदान करना शायद हृदय की ही आवश्यकता है.

आप मेरी शक्ति स्रोत, प्रेरणा हैं .... You are my strength, inspiration :)

Wednesday, September 16, 2015

Pighli पिघली




मन की वीणा सोई हुई है
कहीं दर्द ओढ़ याद खोई है
'प्रीति' दूर कोई गीत गुनगुना रही
सोई हुई हंसी दर्द को गले लगा रही

निर्मलता जो हिम सम थी हो चली
पिघल पिघल कर गंगा सी बह रही
आग लिए बहती थी हृदय में जो भरी
अश्रु वेग करुण भाव जीवित कर रही

मैं जीवित हूँ या जीवित सम हूँ
स्वयं की स्थिति पर अचंभित हूँ
क्या करुण करुणा के कारण हुए मेरे भाव हैं
असह्य पीर पुनः सह तितली पर फैला रही है

@Prritiy, 3.41pm, 14 sept, 2015

Friday, August 28, 2015

tum-main


मैं पूछूं- क्या कर रहे, तुम कहो ''तुम्हे याद''
मैं कहूँ- कुछ कहो, तुम कहो ''तुमसे प्यार है''
तुम पूछो- सोचों में कौन, मैं कहूँ ''हमेशा तुम''
तुम पूछो- संग चलोगी, मैं कहूँ ''तुमसे है प्रीति''
@Prritiy, 3.40pm, 12 dec, 14

Tuesday, August 18, 2015

Vidambana विडम्बना


जान, सामीप्य में पीड़ा मिलना
मेरा मुँह मोड़, अश्रु लिए चलना

हर पल छिप कर उसे निहारना
उसके सामने स्वयं को छिपाना
नहीं हैं वो सोचों में प्रतीत कराना
पथ को टकटकी लगा भी देखना

क्योंकर हुआ मेरा उससे सामना
राहों का हमारी परस्पर उलझना
नियति में दूरी, हृदय का उसी पर आना
लिखी भाग ने मेरे कैसी आह विडम्बना

@Prritiy, 10.15 pm, 15 August 2015

Monday, August 10, 2015

kuchh fir bikhre pal कुछ फिर बिखरे पल



फिर बदरी छायी फिर बूँदें बरसी
फिर पपीहे ने टेर लगाई पीहू पीहू
@Prritiy, 4.05 pm, 10 August, 2015

हमारे इन नैनों में सपने उन्होंने ही जगाये थे
प्रीतिपुष्प खिला कर जो बोले हम तो पराये थे
@Prritiy, 2.58 pm, 10 August, 2015

उनका प्रेम बिकता तो कैसे भी ख़रीद लेते
वो 'प्रीति' का दगाबाजों से सौदा करने चले
@Prritiy, 2.14pm, 10 August, 2015

कितना बदनाम कर दिया प्रेम को दगा देने वालों ने
दर्द की बात चले लोग कहते हैं, प्यार किया किसी से
@Prritiy, 2.00 pm, 10 August, 2015

हमने उन्हें सर माथे पर बिठाया
पर उन्हें पंक ही रास आता आया
@prritiy, 7.36 pm, 9 August, 2015

गर मेरे अपने हाथ में होता
तो वो हाथ हाथ से न जुदा होता
यूँ न देखते रहते इन लकीरों को
आह भर कि काश वो नसीब में होता
@Prritiy, 3.45pm, 9 august, 2015

उसके जाने से जीवन रूठा
या उसका आना अभिशाप था
अब क्या करूँ इस फेर में पड़कर
उजड़ी बगिया शोलों से लिपटकर
@Prritiy, 2.32 pm, 8 august, 2015

हृदय कहता सपना उसे पाकर पूरा होता
जिसके बिना मन सदा को अधूरा हो गया
@Prritiy, 12.49 pm, 8 August, 15

सुनो ये जो बूँदें बरस रही हैं मेरे नैनो से, या कालिमा लिए नभ से
दोनों कह रही एक ही बात बारम्बार हैं कि प्रीति करी तूने एक पत्थर दिल बैरी से
@Prritiy, 12.43pm, 8 August, 15

काश तूने कभी मेरी प्रीति की गहराई को जाना होता
जान जाता मुझसे अधिक तुझे प्रेम मिल ही नहीं सकता
@Prritiy, 12.35 pm, 8 August, 15

कहना आसान होता की भुला दो जख्मों को
कैसे भूल जाएं वो टीसें जो दिन रात होती हैं
@Prritiy, 10.49pm, 3 august, 2015

Sunday, July 12, 2015

mai teri achhai मैं तेरी अच्छाई





मैं तेरे जीवन की अच्छाई हूँ
जो तुझमें बहुत गहरे समाई हूँ
हर कदम तेरे साथ साथ होती हूँ
कभी ओझल तो कभी दिखती हूँ

जहाँ बहकते भटकते कदम तेरे हैं
शब्द सच का दर्पण दिखाते आए हैं
तुझपे कई बार बैरियों ने घेरे बनाये हैं
साथ मेरे समर्थन भरे वाक्यों ने दिये हैं

पर अब तुझे अधिक भाने लगा है
जो कुछ भी यहाँ गन्दा काला मैला है
अब ना मेरी यहाँ कोई आवश्यकता है
सदैव के लिए विदा लगता यही भला है

9.30 am, 12 july, 2015

mai tere jeevan ki achhai hun
jo tujhmein bahut gehre samai hun
har kadam tere saath saath hoti hun
kabhi ojhal to kabhi dikhti hun

jahan behkate bhatakte kadam tere hain
shabd sach ka darpan dikhate aaye hain
tujhpe kai baar bairiyon ne bhere banaye hain
saath mere samarthan bhare vakyon ne diye hain

par ab tujhe adhik bhane laga hai
jo kuchh bhi yahan ganda kala maila hai
ab na meri yahan koi aavshyakta hai
sadaiv ke liye vida lagta yahi bhala hai

Tuesday, July 7, 2015

kyun pyar क्यों प्यार



वो कहते मुझसे क्यों इतना प्रेम है
सब कहते क्यों उससे इतना प्यार है
व्यथित पूछूँ प्रेमदेव से क्यों इतनी प्रीत है

क्या कहूँ मैं तो नहीं जानूं इसका उत्तर
पूछूँ तुमसे इस जगसे मुझे दे दो प्रत्युत्तर
क्यों नेह कर हुई नजरों में तुम्हारी कमतर

क्यों हृदय को है इतनी उनकी लगन
वो तो हैं जीवन की रंगीनियों में मगन
क्यों भर गयी स्नेह भरे जीवन में अगन

चित्कार करता मन क्यों इतनी वेदना है
असहनीय अब पीड़ा में इस तरह जीना है
छलकती प्रणय पीर नीर से भरी नेत्र गागर है

व्यथित हो पूछूँ तुमने फैलाया वो मायाजाल
किस कदर उलझ गयी मैं हो गयी देखो बेहाल
तुम ही कहो ना क्यों तुम्हारी 'प्रीति' में मेरा ये हाल
@prritiy, 10.47 pm, 5 july 2015

Thursday, May 14, 2015

toota dil टूटा दिल


काश  ये  जिंदगी  खत्म  हो  गई  होती  ये  जुदाई  न  होती.....
तो  लिखते  लिखते  ये  झुकी  हुई  पलकें  यूँ  भीगी  न  होती.....

@prritity 6.52pm, 11 may, 2015

तेरे रोज के प्रपंच मेरे इन रिसते घावों को हरा रखते है
न बदलेगा अभिघातों का चलन हृदय को आँखें दिखाती हैं

11.52am, 11 may 2015

कभी  तो  वो  हमारे  हुए  होते  तो  हमें  यूँ  न  खोते
कभी  तो  हमारी  कद्र  को  माना  होता  तो  नहीं  खोते .. नहीं   खोते ....

@prritity 2.21pm, 11 may, 2015

उसने  हमें  संभाला  कहने  को  बड़े  जातां  से
फिर  यूँ  टुकड़े  किये  कि  रह  गए  बिखरे -बिखरे  से

@prritiy 1.13pm, 11 may, 2015

होता  यही  है  मोहब्बत  के  जहाँ  में
बुझाता  वही  है  जलता  दिल  जिसके  प्यार  में

@prritiy, 5.31pm, 7 may, 2015


वो  तो  पल  भर  में  तोड़  गए  हर  रिश्ता
जैसे  कोई  बोझ  पटक  दिया  हो  जमीं  पर

@prritiy, 11.58am, 7 may, 2015

ऐसे  टूट  कर  बिखरे  हैं  दिल  के  आईने  के  शीशे
हर  इक  टुकड़ा  नश्तर  सा  मुझे  चुभता है  रात  दिन

@prritiy 10.24pm, 6 may, 2015

Kaash ye jindagi khatam ho gai hoti ye judai na hoti.....
To likhte likhte ye jhuki hui palkein yun bheegi na hoti.....
@prritity 6.52pm, 11 may, 2015

Tere roj ke prapanch mere in riste ghaavon ko hara rakhte hai
Na badelega tere abhighaton ka chalan hriday ko aankhein dikhati hain
11.52am, 11 may 2015

kabhi to vo hamare hue hote to hame yun na khote
kabhi to hamari kadr ko mana hota to nahi khote.. nahi  khote....
@prritity 2.21pm, 11 may, 2015

usne hame sambhala kehne ko bade jatan se
fir yun tukde kiye ki reh gaye bikhre-bikhre se
@prritiy 1.13pm, 11 may, 2015

hota yahi hai mohabbat ke jahan mein
bujhata vahi hai jalta dil jiske pyar mein
@prritiy, 5.31pm, 7 may, 2015


vo to pal bhar mein tod gaye har rishta
jaise koi bojh patak diya ho jameen par
@prritiy, 11.58am, 7 may, 2015

aise toot kar bikhre hain dil ke aaine ke sheeshe
har ik tukda nashtar sa mujhe chubta hai raat din
@prritiy 10.24pm, 6 may, 2015

Thursday, January 8, 2015

barson baad बरसों बाद




द्वार खुले छोड़े थे मैंने तुम्हारी बाट जोहते हुए
देखो तो उड़ कर पत्तों की ढेर ने द्वार बंद कर दिया
अब तुम न देख पाओगे इस पार मेरे बिखरे केशों को
न कभी मेरी तकती आँखों में भरी आंसुओं की झड़ी को 


जान न पाओगे मेरे सारे दिन तुमने कितने स्याह किये
मेरी सूनी रातों से कितने सतरंगी स्वप्न तुमने छीन लिए
ये भी न सुन पाओगे मेरी सिसकियों ने फिर भी प्रार्थना की
तुम्हे अपने लिए माँगना चाहा पर फिर होंठों ने चुप्पी भर ली 


आज भी चुप से तुम्हारी छवियों को घंटों निहारती रहती हूँ
तुमसे ढेरों बातें करती हूँ, तुम्हारी ही बाँहों में रोती हंसती हूँ
तुमने पहले उस दर्द से छीना फिर मुझको मुझसे छीन लिया

फिर 'प्रीति' से कहके इंकार किया कि तुमने कुछ भी न किया

आज भी मैं तुमसे हाँ तुमसे बहुत प्रेम करती हूँ
 6.38pm, 7 jan, 14