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हृदय के उदगारों को शब्द रूप प्रदान करना शायद हृदय की ही आवश्यकता है.

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Friday, August 28, 2015

tum-main


मैं पूछूं- क्या कर रहे, तुम कहो ''तुम्हे याद''
मैं कहूँ- कुछ कहो, तुम कहो ''तुमसे प्यार है''
तुम पूछो- सोचों में कौन, मैं कहूँ ''हमेशा तुम''
तुम पूछो- संग चलोगी, मैं कहूँ ''तुमसे है प्रीति''
@Prritiy, 3.40pm, 12 dec, 14

2 comments:

Thanks for giving your valuable time and constructive comments. I will be happy if you disclose who you are, Anonymous doesn't hold water.

आपने अपना बहुमूल्य समय दिया एवं रचनात्मक टिप्पणी दी, इसके लिए हृदय से आभार.