ब्लॉग में आपका स्वागत है

हृदय के उदगारों को शब्द रूप प्रदान करना शायद हृदय की ही आवश्यकता है.

आप मेरी शक्ति स्रोत, प्रेरणा हैं .... You are my strength, inspiration :)

Thursday, January 5, 2012

नही मिलन का निलय


प्रणय पंछी के प्रारब्ध में, नही मिलन का निलय
ना मिलते उस राह, जो हो रही अलगाव में विलय
क्यूँ खिलाया ईश्वर ने ये स्नेह पुष्प तप्त हृदय में
लिखा स्वयं, असंभव, मिलन का होना नियति में
ये ना मैं जानूं ना तुम
्हारा स्नेह बरसाता हृदय
क्यूँ आकर बींध गया स्नेह-तीर तेरा मेरा हृदय
अब तो बस नदिया का दूजा तीर बनकर चलना है
जहाँ ना आद्योपांत मिलन है न लिखा संपूर्ण भंजन है

प्रणय pranay -- chahat चाहत love
प्रारब्ध, नियति prarabdh, niyati -- bhagya भाग्य destiny
निलय nilay -- ghonsla घोंसला nest
विलय vilay -- lupt लुप्त fading away
तप्त tapt -- jalta hua जलता हुआ burning, distressed
तीर teer -- baa.n बाण, kinara किनारा arrow, riverside
आद्योपांत adyopant -- sampoorna, संपूर्ण thorough
भंजन bhanjan -- algaav, अलगाव sepration
- प्रीति 4.28 pm, 5 Jan, 2012

9 comments:

  1. "अब तो बस नदिया का दूजा तीर बनकर चलना है
    जहाँ ना आद्योपांत मिलन है न लिखा संपूर्ण भंजन है"

    बहुत खूब लिखा आपने।


    सादर
    --------
    जो मेरा मन कहे पर आपका स्वागत है

    ReplyDelete
  2. जहाँ ना आद्योपांत मिलन है न लिखा संपूर्ण भंजन है"

    बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति.

    मैं तेरे पास नहीं हूँ योगी,
    सो तू है मेरे पास सदा .

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर भाव ..... शुभकामनायें
    बहुत सारे ऐसे शब्द सीखे जो मैं भी प्रयोग में ला सकता हूँ.

    मेरे ब्लॉग से जुड़ने और पढने के लिए इस लिंक पे क्लिक करें
    http://dilkikashmakash.blogspot.com/

    ReplyDelete
  4. bahut badiya manobhar ki prastuti..
    navvarsh kee hardik shubhkamna..

    ReplyDelete
  5. बहुत बढ़िया लिखा है..

    ReplyDelete
  6. क्या बात है, मस्त है....जब किसी की मोह्बत लूटी जाती है तब छाती नहीं तडपती है, किसी के हिरदय करंदन नहीं सुनाई नहीं देता.
    अपने पे गुजरी तो.....दुसरो को रुलाने वाले खुद ता उम्र रोते रहेंगे......
    वाह...योगी महाराज जी जय हो, आजकल गृहनगर में प्रेम समाधि रत हैं.
    अनामिका.

    ReplyDelete
  7. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  8. Sweety Anamika,

    mai nahi janti tum kon ho aur kyun ye sab karti fir rahi ho. tum sach hoti to yun chhup kar nhi kehti, samne aa kar seedhe poochh lo shayad tumhari galatfehmi door ho jaye aur tumhe shaanti mile. meri email id se tum avashya vakif hongi. poochh lo aur sach jaan lo tumhe taki tumhe karar aa jaye.

    ye rachna kisi ki peeda ko maine mehsoos kar, likhi hai. aur yogi-pagli meri kalpnaon se nikhri hai. aur mere jeevan mein aisi peeda nhi devi jiska tum ullekh kar rahi ho.

    jo mere sach hain uske to mai sada kareeb hun. Mere sachche apnon ki duaoon se.

    Prabhu tumhe sukh-shanti pradan kare.

    Shubhkamnayen.

    ReplyDelete
  9. गहन भावों से भरा कविता अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट "लेखनी को थाम सकी इसलिए लेखन ने मुझे थामा": पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद। .

    ReplyDelete

Thanks for giving your valuable time and constructive comments. I will be happy if you disclose who you are, Anonymous doesn't hold water.

आपने अपना बहुमूल्य समय दिया एवं रचनात्मक टिप्पणी दी, इसके लिए हृदय से आभार.