आँखों में आँसू छाये रहे, छुपे , हरदम
प्रीत को रीति से सजाकर प्रीत बनाया
देना हर चेहरे को मुस्कान, रीत बनाया
की स्नेहवर्षा बिखेरे मृदु पुष्प सर्वत्र
खिलाने को ह्रदय दी निष्ठा यत्र-तत्र
प्रीत तो है भरती स्नेह से हर पात्र
नेह ने भला कब देखा कुपात्र-सुपात्र
पर निराली है इस जग की भी रीत
प्रीत को प्रतिकार मिला करुण गीत
12:37a.m., 20/5/10
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