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Sunday, May 30, 2010

देखो मेरे दर्द ने तुम्हे कवि बना दिया

देखो मेरे दर्द ने तुम्हे कवि बना दिया


मेरे दिए आंसुओं ने रचना को निखार दिया 




कह गए तुम, यूँ जाते-जाते, समझाते


जाने क्यों, तुम्हे हैं, तीर चुभाने ही भाते


कहते हो, मुझसे ही करते हैं नेह


पर क्यूँ नजर आयें, सबको संदेह 


हर मिलन में हो अवसाद भर जाते


और मेरे मौन को हो स्वार्थी कह जाते


मुझे निर्भीक प्रेम, त्याग की महिमा समझाते हो


स्वयं छुपकर मेरी गलियों से निकल जाते हो


बातें तो बड़ी-बड़ी बनाना तुम्हे भाए


प्रेम के मर्म को पर क्या जान पाए






होता जो स्नेह तो क्या मेरे अश्रु तुम्हे भाते


मौन रहे मेरे अश्रु क्या तुम्हे ना रुलाते


नहीं चाहिए लेखनी का उच्चकोटि होना


गर है आंसुओं का इनकी कीमत होना


कहते तुम, नहीं चाहता तुझे छुए गम की परछाई भी


बस मुस्काते होंठ, नैनो में चमक, ह्रदय में उमंग ही


तुम ना कहते देखो दर्द ने रचना को निखार दिया


कहते मेरे प्रेम ने तुम्हारे रूप को और संवार दिया


.


गर कहीं तुमको मुझसे प्रेम होता


गर मेरा दर्द तुम्हारे दिल में रोता



5:40pm, 21/4/10.

3 comments:

  1. होता जो स्नेह तो क्या मेरे अश्रु तुम्हे भाते


    मौन रहे मेरे अश्रु क्या तुम्हे ना रुलाते


    नहीं चाहिए लेखनी का उच्चकोटि होना


    गर है आंसुओं का इनकी कीमत होना
    waah jitni sunder rachna hai utni hi sunder aapki pic bhi .........badhai ............

    ReplyDelete
  2. bahut gahri vedna hai in shabdon mein...

    होता जो स्नेह तो क्या मेरे अश्रु तुम्हे भाते
    मौन रहे मेरे अश्रु क्या तुम्हे ना रुलाते

    गर कहीं तुमको मुझसे प्रेम होता
    गर मेरा दर्द तुम्हारे दिल में रोता


    bahut badhai aur shubhkaamnaayen Prritiy.

    प्रेम की चाहत कभी कम नहीं होती,
    ज़िन्दगी बस दुनियादारी में कटती है,
    कमबख्त ये दुनिया बहुत रुलाती है.

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