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न आँखों में आंसू हैं
ना होठों पर मुस्कान
न शब्द ही गूंगे हैं
पर है ना मधुर तान
बस जीव जीवित है
न किसी की चाह है
ना करुण है रुदन
न तीव्र विरह वेदना है
पर है ना ही मधुर स्पंदन
बस जीव जीवित है
न तूफान की कोई आहट है
ना सजा खुशियों का है मेला
न कारवां का साथ है
पर है ना ही नितांत अकेला
बस जीव जीवित है
न इंतजार किसी का है
ना वादा ही किया अब
न अंत का ही भय है
और ना लगाव रहा कोई अब
बस जीव जीवित है
11:39p.m., 14/5/10
ham sabke man ke bhav ko aapne bahut achhe shabd diye hain..........
ReplyDeletebahut sunder rachna....
beautifully expressed..
ReplyDeletevery nice .......
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