तुम करते हो प्रेम की बातें
नफरत मिटाने की सौ बातें
बड़े-बड़े लेख हो लिखते
आलंकारिक काव्य गढ़ते
दो प्रेमी कहीं मारे गए सुन
करते हो तुम रुदन करुण
फिर दिखाती लेखनी कौशल
है धधकती लावा हरपल
धर्म के नाम पर हुए जो दंगे
कहा क्यूँ हैं दिल खून से रंगे
फिर क्यों हो रूठे मुझसे तुम
कहाँ हो गए भाव तुम्हारे गुम
मैंने भी तो है जीना चाहा
अपना कल संवारना चाहा
करते हो हरपल तुम भी यही
तो क्यूँ तुम्हारी चाल ही सही
क्या मुझसे यूँ रूठे रहोगे
क्या मुझको बेगाना कहोगे
जड़ ने पहुँचाया आसमान में
क्या भर दोगे तेजाब जड़ों में
11:04, 28/4/10
क्या मुझसे यूँ रूठे रहोगे
ReplyDeleteक्या मुझको बेगाना कहोगे
जड़ ने पहुँचाया आसमान में
क्या भर दोगे तेजाब जड़ों में
bahut gahri chubhne wali pankti, tezaab ka bimb adbhut laga. saarthak rachna ke liye badhai Prritiy