गुजरे हुए वे कल यादों को सौंपती हूँ
वो उड़ते पंछियों का गहराते आकाश में खोना
धुंधलके में पुष्पों का पंखुड़ियों को समेट सोना
मंद पवन के झोंकों का मीठा सा स्पर्श होना
वो नन्ही बूंदों के आने पर हमारा चौंका होना
पल्लवित वो उड़ान दिशायों में ठहर गए हैं
मीठे वे सारे सिहरन मुझमें ही रह गए हैं
वो शिला पर बैठ तुम्हारा वादियों को निहारना
क़दमों पर बैठ संग सुनना कोयल का पुकारना
बेखयाली में तुम्हारे घुटनों पर सर का टिकाना
और तुम्हारी उँगलियों का मेरी लटों को सुलझाना
दृश्य वो सारे आँखों में ठहर गए हैं
स्पर्श वो तुम्हारे मुझमें रचबस गए हैं
लहरों में, कलोलना, संग तुम्हारे
और फिर, रहे नैन जब मुझे निहारे
वो छाँव में टिके कुञ्ज-कलिन के सहारे
नेह से भरे बीते थे पल मेरे, संग तुम्हारे
सारे वो लहर देह में ठहर गए हैं
स्पंदन सारे अन्तस्तल में रह गए हैं
तुम्हारे जाने की सुन आँखों से, बहती गंगा, मेरे
आने का संदेशा पा भी छलक जाते थे नैन मेरे
सुनाते थे नेत्र, तुम्हें, दिल के तरंगित गीत मेरे
लज्जा के घूँघट में रह जाते प्रणय शब्द मेरे
पलकों के मोती अब वहीँ ठहर गए हैं
अधरों में रुके शब्द भी वहीँ जम गए हैं
वो ठहर कर तुम्हारा चले जाना
वो जाकर भी तुम्हारा ठहर जाना
हमारे उन पलों को, तुम्हारा मौन कर जाना
मौन का लौट-लौटकर, ह्रदय से टकरा जाना
गुजरे हुए हमारे कल यादों को सौंपती हूँ
वो मेरे-तुम्हारे पल तुम्ही को सौंपती हूँ
12:29pm, 27/4/10
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ReplyDeleteSpecifically for Sanju: Better mind your own business as it is my wish that I can post any comment on any one's blog and if you don't want me to write anything then plz tell ur friend to delete this blog.....
ReplyDeletebahut khoob prritiy ji.
ReplyDeletebahut bhaavparak.
dil ko chhoo gayee aapki rachna.