है कितना घनघोर अँधेरा
कहाँ है वो मेरा सवेरा
वो किरणे जो करे ह्रदय को आलोकित
मेरा होठों के बेताल सुरों को झंकृत
वो सुनो पंछी चह्चहाए
कमलदल झूम के मुस्काए
घुलने लगा है देखो अँधेरा
हरी चूनर ओढने लगी धरा
ओस झिलमिलाये, पुष्प खिलखिलाए
तरु से लिपटी बेल शर्माए, बलखाए
रथ पर सवार निकला चमकीला तारा
सुनहरी रश्मियों को धरा पर वारा
उड़ने लगी ये धुंध की चादर
प्रिय मिहिर मिलन को आतुर
मेरे आंगन जो पड़ी थी छाया
उस पर चला दी अवि ने माया
कुसुम महके, पंछी चहके
पवन चली हलके-लहके
खिलाने मेरा मन उपवन
वारी है मुझपे अपनी किरन
10:06pm, 23/4/10
Wah Priti Ji...........
ReplyDeleteShabd or Kalpnao ka anupam sanjog.......
Ati Sundar
Ji hriday se abhaar.
ReplyDeletePar mein janu kaise aap kaun hain? Kripya Bataiye.