मेरी जिंदगी में दर्द हैं फिर भी जीती हूँ
तू जो दूर चला जाये तो चैन से मर सकूं
तू सर से पाँव तक झूठ है ये जानती हूँ
तू कभी अब सच बनकर भी आये तो कैसे यकीं कर सकूं
मैंने तुझे चाहा मानती हूँ मैं ही गलत हूँ
तू ये एक बार कह दे कि सब झूठ था तो यकीं कर सकूं
बस तेरे एक ही सच का इन्तजार करती हूँ
कि तू कभी, कहीं, किसी के लिए सच है ये यकीं कर सकूं
तेरे दिए हर दर्द को सीने से लगाती रही हूँ
कोई एक दर्द तेरा दिया ना था ये यकीं कर सकूं
जानता है तू जिंदगी से बढ़कर तुझे चाहती रही हूँ
वो तू ना था जिसके लिए मौत को गले लगाने चली यकीं कर सकूँ
तू नए-नए फूलों का रसिक है ये अब जान गई हूँ
तुझसे न की थी कभी प्रीत बस अब ये यकीं कर तो सकूँ
"chain se so raha tha odhe kafan mazar me,
ReplyDeleteyahan bhi satane aa gaye pata kisne bata diya hai."
bahut hi umda aur khoobsurat rachna hai aapki Prrity----------