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Friday, March 1, 2013

dil दिल


वो इश्क ही क्या जो सफ़र कराये
कभी दिल से गम तक होता है सफ़र
और कभी सभी ग़मों से रुखसत दिलाये
11.32pm, 28/2/2013





हमें  सबने, हमने  दिल  को  कहा  दिल  न  लगाना
नासमझ  पर  जाने  कैसे  तेरी  बातों  में  आ  गया 


अब  न  जाने  हम  न  ये  जहां  इस  लगी  को  बुझाना
क्या  कहूँ  ऐ  मेरे  दिल  अब  तू  गया.. तू  काम  से  गया 

3.30pm, 1/3/2013





10 comments:

  1. क्या बात है, बहुत ही बेहतरीन शेर,आभार.

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  2. बहुत सुंदर , क्या कहने
    शुभकामनाएं..



    नोट: अगर आपको रेल बजट की बारीकियां समझनी है तो देखिए आधा सच पर लिंक...
    http://aadhasachonline.blogspot.in/2013/02/blog-post_27.html#comment-form

    बजट पर मीडिया के रोल के बारे में आप TV स्टेशन पर जा सकते हैं।

    http://tvstationlive.blogspot.in/2013/03/blog-post.html?showComment=1362207783000#c4364687746505473216

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  3. दिनांक03/03/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  4. बहुत ही बेहतरीन पोस्ट,

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  5. किसी के कहने से कहाँ समझता हा ये दिल ...
    लाजवाब ...

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  6. अब न जाने हम न ये जहां इस लगी को बुझाना
    क्या कहूँ ऐ मेरे दिल अब तू गया.. तू काम से गया.

    दिल को समझाना नहीं आसान. खूबसूरत प्रस्तुति.

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  7. .आखिर दिल ही तो है,इस पर यदि वश होता तो न जाने दुनिया क्या होती.यह भी तो सोचिये
    ख़ैर जो भी अछि प्रस्तुति

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  8. बहुत खूब सार्धक लाजबाब अभिव्यक्ति।
    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ ! सादर
    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    अर्ज सुनिये
    कृपया मेरे ब्लॉग का भी अनुसरण करे

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आपने अपना बहुमूल्य समय दिया एवं रचनात्मक टिप्पणी दी, इसके लिए हृदय से आभार.