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ब्लॉग में आपका स्वागत है
हृदय के उदगारों को शब्द रूप प्रदान करना शायद हृदय की ही आवश्यकता है.
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Friday, March 1, 2013
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ब्लॉग में आपका स्वागत है
हृदय के उदगारों को शब्द रूप प्रदान करना शायद हृदय की ही आवश्यकता है.
क्या बात है, बहुत ही बेहतरीन शेर,आभार.
ReplyDeleteबहुत सुंदर , क्या कहने
ReplyDeleteशुभकामनाएं..
नोट: अगर आपको रेल बजट की बारीकियां समझनी है तो देखिए आधा सच पर लिंक...
http://aadhasachonline.blogspot.in/2013/02/blog-post_27.html#comment-form
बजट पर मीडिया के रोल के बारे में आप TV स्टेशन पर जा सकते हैं।
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/03/blog-post.html?showComment=1362207783000#c4364687746505473216
ReplyDeleteदिनांक03/03/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत ही बेहतरीन पोस्ट,
ReplyDeleteकिसी के कहने से कहाँ समझता हा ये दिल ...
ReplyDeleteलाजवाब ...
सही कहा
ReplyDeleteअब न जाने हम न ये जहां इस लगी को बुझाना
ReplyDeleteक्या कहूँ ऐ मेरे दिल अब तू गया.. तू काम से गया.
दिल को समझाना नहीं आसान. खूबसूरत प्रस्तुति.
bahut khoobshurat ahshas
ReplyDelete.आखिर दिल ही तो है,इस पर यदि वश होता तो न जाने दुनिया क्या होती.यह भी तो सोचिये
ReplyDeleteख़ैर जो भी अछि प्रस्तुति
बहुत खूब सार्धक लाजबाब अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ ! सादर
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
अर्ज सुनिये
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