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Monday, March 18, 2013

kusumawali कुसुमावली

मुझसे  दोस्ती  करो  ऐ  मानव
नहीं  तुम्हे  कष्ट  दूँ  मैं  कोमलांगी
आते  हो  लिए  हृदय  में  तांडव
दिल  को  मुस्कान  देती  है  ये  कुसुमावली

कभी  तोड़कर  सजा  लेते  हो  मुझको
तो  कभी  खिन्न  हाथ  से  नोचते  पंखुरियां
तब  भी  सुगन्धित  कर  देती  हूँ  तुमको
मुस्कुरा  कर  भुला  देती  हूँ  तुम्हारी  नादानियाँ

सजाती  हूँ  घर, आंगन, क्यारी, फुलवारी
रंगों  बू  से  भर  देती  हूँ  दिल  का  हर  कोना
मिलती  रहे  जगत  को  हर  चीज  न्यारी
जरुरी  है  इसी लिए प्रकृति  के  हर  अंग  का  होना
 
8.44pm, 18/3/2013


4 comments:

  1. प्राकृति तो जीवन है ... वो हर जगह है ...

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  2. मुझसे दोस्ती करो ऐ मानव
    नहीं तुम्हे कष्ट दूँ मैं कोमलांगी
    आते हो लिए हृदय में तांडव
    दिल को मुस्कान देती है ये कुसुमावली ...waah bahut khub

    nature aur human ke bich rishta hai isi tarah ka hai ..prakriti roj antim sans tak khushbu ,saundry ..hame de zaati hai ...

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  3. सुंदर प्रस्तुति
    बधाई

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  4. अति सुन्दर कविता,

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