ब्लॉग में आपका स्वागत है
हृदय के उदगारों को शब्द रूप प्रदान करना शायद हृदय की ही आवश्यकता है.
सोच की बात ही निराली है :)
सोच सोंच कर बहुत ही सुन्दर.
क्या बात है... खूब कहा, बधाई.
waah ..bilkul sahi ..
bahut good hai ji....gahrai hai...
baap re baap....ye kisne mere hriday ke udgaar yahaan itne sundar shabdon men vyakt kar daale....!!
प्यार का कसूर है ये ... होता है ऐसा अक्सर प्रेम में ...
वाह! बहुत खूब. इसी अवस्था को शायद प्यार कहते हैं.
Thanks for giving your valuable time and constructive comments. I will be happy if you disclose who you are, Anonymous doesn't hold water.आपने अपना बहुमूल्य समय दिया एवं रचनात्मक टिप्पणी दी, इसके लिए हृदय से आभार.
सोच की बात ही निराली है :)
ReplyDeleteसोच सोंच कर बहुत ही सुन्दर.
ReplyDeleteक्या बात है... खूब कहा, बधाई.
ReplyDeletewaah ..bilkul sahi ..
ReplyDeletebahut good hai ji....gahrai hai...
ReplyDeletebaap re baap....ye kisne mere hriday ke udgaar yahaan itne sundar shabdon men vyakt kar daale....!!
ReplyDeleteप्यार का कसूर है ये ... होता है ऐसा अक्सर प्रेम में ...
ReplyDeleteवाह! बहुत खूब. इसी अवस्था को शायद प्यार कहते हैं.
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