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Tuesday, March 19, 2013

soch सोच




सोच सोच कर  तुझे 
कुछ  लिखता  हूँ ..
सोचता  हूँ  कुछ 
कुछ  और  ही  लिखता  हूँ ....
11.16pm, 18/3/2013

8 comments:

  1. सोच की बात ही निराली है :)

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  2. सोच सोंच कर बहुत ही सुन्दर.

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  3. क्या बात है... खूब कहा, बधाई.

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  4. bahut good hai ji....gahrai hai...

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  5. baap re baap....ye kisne mere hriday ke udgaar yahaan itne sundar shabdon men vyakt kar daale....!!

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  6. प्यार का कसूर है ये ... होता है ऐसा अक्सर प्रेम में ...

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  7. वाह! बहुत खूब. इसी अवस्था को शायद प्यार कहते हैं.

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