हवाओं में कोई रवानगी ही नही
खुशबू में ख़ुशी की कोई बू ही नही
समां में छाया बोझिल अँधियारा है
कोई मेरा होकर भी मेरा है नही
मन ये जानकर भी मानता है नही
दिल यूँ क्यूँ ऐसे भरम में भरमाया है
राग हूँ पर होंठों का गीत हूँ नही
हाथ थामे चलते हैं पर साथ हूँ नही
याद दिला कर अपनी मुझे भुलाया है
चांदनी हूँ श्वेत पर हृदय में शीतलता है नही
रोशनी में डूबी हूँ मन में फैला उजियारा है नही
फिर बादलों सा उमड़-घुमड़ कर दिल भर आया है
खुशबू में ख़ुशी की कोई बू ही नही
समां में छाया बोझिल अँधियारा है
कोई मेरा होकर भी मेरा है नही
मन ये जानकर भी मानता है नही
दिल यूँ क्यूँ ऐसे भरम में भरमाया है
राग हूँ पर होंठों का गीत हूँ नही
हाथ थामे चलते हैं पर साथ हूँ नही
याद दिला कर अपनी मुझे भुलाया है
चांदनी हूँ श्वेत पर हृदय में शीतलता है नही
रोशनी में डूबी हूँ मन में फैला उजियारा है नही
फिर बादलों सा उमड़-घुमड़ कर दिल भर आया है
शुक्रिया प्रीती . मेरी कविता को पसंद करने के लिए
ReplyDeleteआपकी ये नज़्म पढ़ी . बहुत सुन्दर लिखा है .. बधाई स्वीकार करिए
प्रेम के कई शेड्स है इसमें. शब्द भावपूर्ण है .
विजय
www.poemsofvijay.blogspot.in
राग हूँ पर होंठों का गीत हूँ नही
ReplyDeleteहाथ थामे चलते हैं पर साथ हूँ नही
याद दिला कर अपनी मुझे भुलाया है ...
जब प्रेम की खुमार में होते अहिं तो ऐसा ही होता है ...
भावपूर्ण बहुत सुन्दर नज़्म
ReplyDeleteराग हूँ पर होंठों का गीत हूँ नही
ReplyDeleteहाथ थामे चलते हैं पर साथ हूँ नही
याद दिला कर अपनी मुझे भुलाया है
चांदनी हूँ श्वेत पर हृदय में शीतलता है नही
रोशनी में डूबी हूँ मन में फैला उजियारा है नही
फिर बादलों सा उमड़-घुमड़ कर दिल भर आया है
बहुत सुंदर .
वाह! बहुत सुन्दर और सरस. आपकी प्रस्तुति का ढंग भी लाजवाब है.
ReplyDeleteशुक्रिया
नीरज'नीर'
मेरी नयी कविता का लिंक
KAVYA SUDHA (काव्य सुधा): आसमां रंग बदलता है
शानदार कोशिश, भाव उद्वेलित हैं शब्द बनने को श्रृंखला बनने को , उन्हें समतल क्षितिज का आयाम दे दो ...
ReplyDeleteगहरे भाव की अभिव्यक्ति .........बोधगम्य सृजन ..
प्रीती जी, सादर अभिवादन
ReplyDeleteआज पहली बार आपके ब्लॉग तक पहुंचा। बहुत खूबसूरती से दिल के उदगार लफ़्ज़ों में सज़ा कर पेश किये हैं आपने। आपकी रचनाएँ पढ़ कर ही लगता है की आप स्वांत सुखाय के लिए सृजन करती हैं। सभी शब्द दिल की गहराइयों से निकले हुए लगते है। बहुत बहुत बधाई आपको इस सृजन कर्म की। आशा है भविष्य में भी ये क्रम अनवरत रहेगा।
कभी समय निकाल कर मेरी भी टेडी मेढ़ी लकीरों पर निगाह डालियेगा ...शायद कुछ पसंद आ जाये और मेरा हौसला तो बढेगा ही। बहुत आभार।
और हाँ ...महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाये।
लाजवाब रचना...बहुत बहुत बधाई...
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