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Saturday, March 30, 2013

aaj bhi आज भी






आज  भी  तुझे  याद  करते  ही  पलकें  भीग  जाती  हैं
तेरी  बातों  को  याद  कर  आज  भी  आंखें  मुस्काती  हैं

आज  भी  तेरे  होठों  पर  आह  देखकर  तड़प  उठता  है  दिल
तुझसे  दूरी  रख  कर  तेरी  आवाज  को  आज  भी  तरसता  है  दिल

आज  भी  तुझे  हँसते  मुसकाते  देख  हम  मुस्कुरा  पाते  हैं
तुझे  गैरों  के  साथ  आज  भी  मचलते  देख  सिमट  जाते  हैं

आज  भी  तुझे  खोने  के  डर  से  सिसक  जाता  है  दिल
तेरी  पुकार  सुनने  की  आस  आज  भी  जगाये  रखता  है  दिल

आज  भी  तेरी  आँखों   को  पास    पा  चेहरा  छुपा  देते  हैं
तुझसे  रूठकर  आज  भी  जग  से  अपने  को  दूर  कर  देते  हैं

आज  भी  तुम  देखो  तो  हर  शब्द  में  कहते  हैं  तुम  मेरे  हो
आज  भी  तुम्हारी  ओर  से  खुद  को  खुद  ही  कहते  हैं  तुम  मेरे  हो

4.01pm, 25/3/2013

10 comments:

  1. आज भी तुम देखो तो हर शब्द में कहते हैं तुम मेरे हो
    आज भी तुम्हारी ओर से खुद को खुद ही कहते हैं तुम मेरे हो


    बेहतरीन


    सादर

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  2. प्रेम का महीन अहसास
    सुंदर रचना
    बधाई

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  3. आज भी तुझे खोने के डर से सिसक जाता है दिल
    तेरी पुकार सुनने की आस आज भी जगाये रखता है दिल
    sampurn rachna me bhavnaaye shbdon ke dvaaraa dil ko chhu chhu zaati hai ..behtarin rachna ..badhaaii shubh kamna ..priti dabraal ji ..

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  4. ase bhi aapki lekhni me jaadu to hai hi .........

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  5. बहुत बढ़िया.सुंदर रचना

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  6. आज भी तेरे होठों पर आह देखकर तड़प उठता है दिल
    तुझसे दूरी रख कर तेरी आवाज को आज भी तरसता है दिल ...

    दिल है की मानता नहीं ... न दूओर जाता है न पास रह पाता है ..
    बहुत उम्दा ...

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  7. आज भी तुझे खोने के डर से सिसक जाता है दिल
    तेरी पुकार सुनने की आस आज भी जगाये रखता है दिल

    ...बहुत ख़ूबसूरत अहसास..सुन्दर अभिव्यक्ति..

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  8. बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!!
    पधारें कैसे खेलूं तुम बिन होली पिया...

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  9. प्रभाव छोड़ने में कामयाब रचना !

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आपने अपना बहुमूल्य समय दिया एवं रचनात्मक टिप्पणी दी, इसके लिए हृदय से आभार.