मौन में मचलता मेरा मन
मौन भाव बरखा बरसे
मौन भरे बयार बहे
वाणी विचरते विहग की मौन
पेड़ों पर पीत पत्रावली मौन
नीली नीरयुक्त नदिया मौन
मौन मचलते मेघ मंडराए
चमकी चपला चपल मौन
चले चन्द्र चंचल मौन
मौन धीरज धारे धरा
मौन सागर संगीत सगरा
मौन तड़पता तूफ़ान ठहरा
मौन मिलती मधुर मुस्कान
कुसुम कली का खिलना मौन
कलपे कोरी कल्पना मौन
मौन निहारें नेह्भरे नयन
मौन गहराया घनघोर गहन
मौन आक्रोशित आहत आत्मन
मौन मिलेगा मेरा मृतप्राय मन
मौन भाव बरखा बरसे
मौन भरे बयार बहे
वाणी विचरते विहग की मौन
पेड़ों पर पीत पत्रावली मौन
नीली नीरयुक्त नदिया मौन
मौन मचलते मेघ मंडराए
चमकी चपला चपल मौन
चले चन्द्र चंचल मौन
मौन धीरज धारे धरा
मौन सागर संगीत सगरा
मौन तड़पता तूफ़ान ठहरा
मौन मिलती मधुर मुस्कान
कुसुम कली का खिलना मौन
कलपे कोरी कल्पना मौन
मौन निहारें नेह्भरे नयन
मौन गहराया घनघोर गहन
मौन आक्रोशित आहत आत्मन
मौन मिलेगा मेरा मृतप्राय मन
12.43am, 20/3/2013
ReplyDeleteकल दिनांक 08/04/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
मौन में समाई बहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteबेहतरीन रचना..
:-)
बहुत बढ़िया..
ReplyDeleteमौन में जैसे पूरी कहानी ही सिमिट आई ...
ReplyDeleteबेहतरीन ...
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति.
ReplyDeleteमौन की गूंज भी दूर तक आवाज करती है.
ReplyDeleteसुंदर गीत,
बेहतरीन अभिव्यक्ति.
ReplyDelete
ReplyDeleteअनुप्राश अलंकार से सजी मौन पर सुन्दर रचना
LATEST POSTसपना और तुम
बेहतरीन ... मौन गूंज उठा ।
ReplyDeleteNice one !
ReplyDeleteमौन निहारें नेह्भरे नयन..ati sundar
ReplyDeleteइस ब्लॉग का तेज़ रंग और सजावट आखों में चुभते हैं... बाकी पोस्ट बेहतरीन है अगर हो सके तो टेम्पलेट को सिपल बनाने की कोशिश करें....
ReplyDeleteअच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
बेहतरीन .
ReplyDeletewahhhhhh kya baat hai..
ReplyDeletebahut gagan abhivyakti .........dard ko nichod ke rakh diya hai
rachna ke liye Bandhaii swikaren or kaviyatri man ko Neelkanth maharaaj dard piine ki shakti or sabr de.