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Saturday, April 6, 2013

maun मौन



मौन  में  मचलता  मेरा  मन 
मौन भाव  बरखा  बरसे
मौन  भरे  बयार  बहे
वाणी  विचरते  विहग  की  मौन
पेड़ों  पर  पीत  पत्रावली  मौन
नीली  नीरयुक्त  नदिया  मौन

मौन मचलते  मेघ  मंडराए
चमकी  चपला  चपल  मौन
चले  चन्द्र  चंचल  मौन
मौन  धीरज  धारे  धरा
मौन  सागर  संगीत  सगरा
मौन  तड़पता  तूफ़ान  ठहरा

मौन  मिलती  मधुर  मुस्कान
कुसुम कली  का  खिलना मौन 
कलपे  कोरी  कल्पना मौन
मौन निहारें  नेह्भरे  नयन
मौन  गहराया  घनघोर  गहन
मौन  आक्रोशित  आहत  आत्मन

मौन  मिलेगा  मेरा  मृतप्राय  मन

12.43am, 20/3/2013 

15 comments:


  1. कल दिनांक 08/04/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  2. मौन में समाई बहुत ही सुन्दर
    बेहतरीन रचना..
    :-)

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  3. मौन में जैसे पूरी कहानी ही सिमिट आई ...
    बेहतरीन ...

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  4. बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति.

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  5. मौन की गूंज भी दूर तक आवाज करती है.

    सुंदर गीत,

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  6. बेहतरीन अभिव्यक्ति.

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  7. अनुप्राश अलंकार से सजी मौन पर सुन्दर रचना
    LATEST POSTसपना और तुम

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  8. बेहतरीन ... मौन गूंज उठा ।

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  9. मौन निहारें नेह्भरे नयन..ati sundar

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  10. इस ब्लॉग का तेज़ रंग और सजावट आखों में चुभते हैं... बाकी पोस्ट बेहतरीन है अगर हो सके तो टेम्पलेट को सिपल बनाने की कोशिश करें....

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  11. wahhhhhh kya baat hai..
    bahut gagan abhivyakti .........dard ko nichod ke rakh diya hai
    rachna ke liye Bandhaii swikaren or kaviyatri man ko Neelkanth maharaaj dard piine ki shakti or sabr de.

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Thanks for giving your valuable time and constructive comments. I will be happy if you disclose who you are, Anonymous doesn't hold water.

आपने अपना बहुमूल्य समय दिया एवं रचनात्मक टिप्पणी दी, इसके लिए हृदय से आभार.