इससे बड़ी सजा क्या देगा कोई खुद
को
वो सामने हो, रजा भी हो, आरजू भी हो
पलकें नम हो, फिर भी ख़ामोशी हो,
हाथों में कम्पन हो, होंठों पर दुआ हो
दिल मचले, रूह तड़पे फिर भी ख़ामोशी हो,
वो पुकारें, रूह के लब हिलें पर ख़ामोशी हो
जान जाये, वो सामने हो, फिर भी ख़ामोशी हो,
पथरायी झुकी आँखों में सदा के लिए ख़ामोशी हो
3.19 pm, 27/2/2013 वो सामने हो, रजा भी हो, आरजू भी हो
पलकें नम हो, फिर भी ख़ामोशी हो,
हाथों में कम्पन हो, होंठों पर दुआ हो
दिल मचले, रूह तड़पे फिर भी ख़ामोशी हो,
वो पुकारें, रूह के लब हिलें पर ख़ामोशी हो
जान जाये, वो सामने हो, फिर भी ख़ामोशी हो,
पथरायी झुकी आँखों में सदा के लिए ख़ामोशी हो
दिल मचले, रूह तड़पे फिर भी ख़ामोशी हो,
ReplyDeleteवो पुकारें, रूह के लब हिलें पर ख़ामोशी हो
जान जाये, वो सामने हो, फिर भी ख़ामोशी हो,
पथरायी झुकी आँखों में सदा के लिए ख़ामोशी हो
बेहतरीन गजल
सादर
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteक्या कहने
क्या अंदाज है,अतिसुन्दर.
ReplyDeleteदिल मचले, रूह तड़पे फिर भी ख़ामोशी हो,
ReplyDeleteवो पुकारें, रूह के लब हिलें पर ख़ामोशी हो ..
ये तो खामोशी का गहरा इम्तिहान है ... वो काट ले गला पर उफ़ न निकले ...
बहुत खूब ....
दिल मचले, रूह तड़पे फिर भी ख़ामोशी हो,
ReplyDeleteवो पुकारें, रूह के लब हिलें पर ख़ामोशी हो ..
...वाह! बेहतरीन रचना...