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Friday, February 15, 2013

rut mohabat ki रुत मोहब्बत की


मेरी  इबादतें  मेरी  दुआ  में  शामिल  तू  हरपल  है
लोग  कहते  हैं  तेरे  चेहरे  के  नूर  में  दुआ  रोशन  है

10.32pm, 11/2/2013


 भरोसा किया है तो ऐ दिल न डर बिछोह से  
सुनते हैं प्यार वैसे ही ठहर जाता है बिछोह में
2.20pm, 12/2/2013





बूंद जो आसमान  से  बरस  कर  मिटटी  में  मिल  जाये
वहीँ  बूंद  फिर  जीवन  के  रूप  में  फसलों  में  लहलहाए

8.50pm

चेहरे  की  उदासी  में  एक  लकीर  देखी  मुस्कराहट  की
छिपी  है  बदली  में  पर  फिर  आएगी  रुत  मोहब्बत  की

10.31pm
13/2/2013

10 comments:

  1. बहुत खूब!!

    बेहतरीन अभिव्यक्ति!!

    ...बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ !!!

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  2. बढ़िया है आदरेया -
    शुभकामनायें-

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  3. बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ!बेहतरीन अभिव्यक्ति.

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  4. सुंदर अभिव्यक्ति..

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  5. फिर आएगी रुत मोहब्बत की........इस पंक्ति में सार है। शुक्रिया सुंदर रचना के लिए।

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  6. चेहरे की उदासी में एक लकीर देखी मुस्कराहट की
    छिपी है बदली में पर फिर आएगी रुत मोहब्बत की

    आशा और विश्वास की सुन्दर रचना, शुभकामनाएँ.

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  7. लोग कहते हैं तेरे चेहरे के नूर में दुआ रोशन है
    प्रेम का महीन अहसास--सुंदर



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