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Thursday, April 1, 2010

उसने बेड़ियों का हार पहनाया है



आज उसने मुझे फिर रुलाया है 
दुनिया के आगे मुझे बेगाना बताया है 
पलकों से जो एक-एक कर चुना है 
काँटों को राह में उसने ही बिछाया है


बहने से पहले जिन आंसुओं को मैंने मिटाया है
होठों से हँसी छिनने का उसने बहाना बनाया है 
हर दर्द सहकर भी उसे दुआ दी है 
पर दर्द का उसने अम्बार लगाया है


वो तो उस को छलनी कर आया है
जिस सीने ने उसे दुनिया से बचाया है 
मैंने तो जाने को भी कदम बढाया है 
पर उसने बेड़ियों का हार पहनाया है

6:04 pm., 31/3/10

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