दुनिया के आगे मुझे बेगाना बताया है
पलकों से जो एक-एक कर चुना है
काँटों को राह में उसने ही बिछाया है
बहने से पहले जिन आंसुओं को मैंने मिटाया है
होठों से हँसी छिनने का उसने बहाना बनाया है
हर दर्द सहकर भी उसे दुआ दी है
पर दर्द का उसने अम्बार लगाया है
वो तो उस को छलनी कर आया है
जिस सीने ने उसे दुनिया से बचाया है
मैंने तो जाने को भी कदम बढाया है
पर उसने बेड़ियों का हार पहनाया है
6:04 pm., 31/3/10
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