तुम मंदिर क्या जाते हो
तुमको क्या भगवन मिलेंगे
दर्द दिया है जो तुमने
उनकी मूरत में दिखेंगे
क़दमों में जो सर नवाओगे
तुमपर चढ़े श्रद्धा-फूल
खिलेंगे
दिए में जो लौ भरोगे
अश्रु मेरे वहां चमकेंगे
मन्त्रों का जाप करोगे
तो आहें मेरी सुनाई देंगे
श्रद्धाजल क्या चढ़ा सकोगे
मेरे रक्त-कण जब साथ बहेंगे
तुम मंदिर क्या जाते हो
तुमको क्या भगवन मिलेंगे
5:23pm, 1/4/10
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आपने अपना बहुमूल्य समय दिया एवं रचनात्मक टिप्पणी दी, इसके लिए हृदय से आभार.