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Wednesday, March 24, 2010

मन की लगन


चाहें सब तेरी बगिया का गुलाब बनना
हम चाहें तेरे पाँव तले हरी दूब बनना
चरण-धूलि का हो माथे पर सजना
हो निष्कंटक सदा तेरी राह सजना 



चाहें सब सूरज से रोशन दिन तुम्हारे
हम दिए की लौ बन रहे आँगन तुम्हारे
जगमगाए नेह से द्वार से किनारे
हो ना अंधकार दिल के किसी किनारे



चाहें सब तुझ पर अधिकार पाना
हम तेरी सेवा करने का भाग्य पाना
आँगन बुहारना, तेरी क्षुधा मिटाना
हृदय  की हर पीड़ा को मिटाना

1:22pm, 24/3/10

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