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Tuesday, March 23, 2010

हँसकर बोले वो- चले गए तुम?



तुमसे क्या शिकायत करें
तुम भी ज़माने का हिस्सा हो
चाहत की बातें सभी करें
जैसे चाहत कोई किस्सा हो

हम मर गए उनकी बेरुखी से
जो बोले तुम रूह का हिस्सा हो
भुला दिया दर्द को आसानी से
जैसे किताबों में लिखा किस्सा हो

हँसकर बोले वो- चले गए तुम?
जैसे ये दिल राख का हिस्सा हो
दो पल मुलाकात कर, चले गए तुम
जैसे मेरी चाहत अतीत का हिस्सा हो

6:49pm, 23/3/10

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