जिसको खोना है वो मिलता क्यूँ है
जिसको चले जाना है वो आता क्यूँ है
कुछ यादें देने जो अनमोल बन जायें
कुछ सीख देने जो जीवन बदल जायें
9.45pm
हम उनसे जब मिलते हैं घबराकर नजरें झुका लेते हैं
डरते
हैं अपना अक्स देख कर संगदिल ना बन जायें
11.07pm,
यूँ महफ़िल में तन्हाई का शोर नहीं मचाया करते
लोग संगदिल हैं खुशियों में साथ निभाया नही करते
लोग संगदिल हैं खुशियों में साथ निभाया नही करते
11.41pm
उनके एक हाथ में बांसुरी दूजे में राधा का हाथ था
उनसे वैसे तो कुञ्ज कलिन गुंजायमान होता था
हरपल राधा का साथ होकर भी, हर पल का साथ ना था
12. 40pm19/9/2012

बहुत सुंदर मुक्तक. खूबसूरत प्रस्तुति.
ReplyDeleteNICE...
ReplyDeleteबहुत सुंदर मुक्तक.
ReplyDeleteबहुत सुंदर मुक्तक.
ReplyDeleteआज 10/10/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
बहुत खूब
ReplyDeleteशब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन....बहुत खूब
ReplyDeleteबेह्तरीन अभिव्यक्ति
सुन्दर अभिव्यक्ति आप भी पधारो...pankajkrsah.blogspot.com पर स्वागत है
ReplyDeleteसुंदर भाव... कभी य़हां भी आना... http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com
ReplyDeleteसुंदर और मन को भानेवाले मुक्तक...
ReplyDelete:-)
भाव और अभिव्यक्ति कौशल दोनो सराहनीय!
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