मेरा दिल कमजोर नही हमदर्द
तुम क्या जानो बेरुखी
का दर्द
कैसे सहता है दिल अनदेखा
होना
प्यार में मिलन न होना
और प्यार में प्यार खोना
दो बिलकुल जुदा बातें
होती हैं
मिलन न होना भी एक दर्द
है
पर प्यार में धोखा, बड़ी
टूटन है
ये टूटन मरने न देती,
जीने भी नही
उन आँखों में अब प्यार
दिखता नही
मेरी खता की लगता है
कोई माफ़ी है नही
जाने जिंदगी ने क्यूँ
दी मुझे दर्द की बददुआ
क्या हुआ जो तुमने भी
कहा था इश्क़ हुआ
तुमसे मुझे हुआ, देती
हूँ दिल से तुम्हे बस दुआ
सोचती हूँ हमराज न दूँ
तुम्हे मुझे यूँ सहने का दर्द
मेरा दिल कमजोर नही हमदर्द
आह! नही सह सकती बस छल
का दर्द
नहीं प्रीत तुम्हे, ये
आघात, ये भीषण दर्द
11.34pm, 20 feb 14
behtreen...
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति ....!!
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और भावविभोर ग़ज़ल है.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है.
http://iwillrocknow.blogspot.in/
इस सार्थक रचना के लिए बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteआग्रह है-- हमारे ब्लॉग पर भी पधारे
शब्दों की मुस्कुराहट पर ...खुशकिस्मत हूँ मैं एक मुलाकात मृदुला प्रधान जी से