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ब्लॉग में आपका स्वागत है
हृदय के उदगारों को शब्द रूप प्रदान करना शायद हृदय की ही आवश्यकता है.
आप मेरी शक्ति स्रोत, प्रेरणा हैं .... You are my strength, inspiration :)
Thursday, February 6, 2014
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ब्लॉग में आपका स्वागत है
हृदय के उदगारों को शब्द रूप प्रदान करना शायद हृदय की ही आवश्यकता है.
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (07.02.2014) को " सर्दी गयी वसंत आया (चर्चा -1515)" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है,धन्यबाद।
ReplyDeleteप्रेम भी है ,विरह भी है ,मिलन का आह्वान भी ....बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteNew post जापानी शैली तांका में माँ सरस्वती की स्तुति !
सियासत “आप” की !
बहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : प्रकृति से मानव तक
सुंदर प्रेम कविता।
ReplyDeleteबेहतरीन अभिवयक्ति.....
ReplyDeleteफूल कैसे झूमे बिन अपने प्रेम भ्रमर के
ReplyDeleteश्रृंगार का क्या मोल बिन तेरे सामीप्य के...
मनोभावों की बेहतरीन अभिव्यक्ति ;-))
आज तो हम आपके ब्लॉग के सदस्य भी बन गए...अब पोस्टों से सम्पर्क बना रहेगा !
शुभकामनाएँ:-))
सुंदर !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.
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