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Sunday, February 16, 2014

t​um ho sang to​​ तुम हो संग तो



मेरी  नसों  में  बसते  हो, तुम  तो  जानते  हो
तुमसे  विलग  हो  जाऊं, अब  भला  ये  कैसे  हो
3.43am 15 feb 14

तुम  हो  संग  तो सुंदर  लगे  कुसुम  उपवन
तेरा  साथ ​​ है  तो  झुलाये  मुझे  झूमती  पवन

तेरी  उंगलियां खेलेमेरी  लटों  को  उलझाये
तेरी  मुस्कान  माथे  की  सलवटों  को  सुलझाए  

तेरे  आँखों  की  चमक  समाई  है मेरी  बिंदिया  में
तेरी  हंसी  की  मधुर  खनक  भरी  मेरी  चूड़ियों  में

तेरी  छाया  को  नैनों  में  कजरा  बना  सजाया  है
तेरी  चाहत  से  आज  श्रृंगार  मैंने  अनूठा  किया  है

तुझे  सोच  के  ओढूँ,  शरमाती,  मैं  धानी  चुनरी
इठलाऊँ, तेरी  आँखों  में  देखूं  मैं खुद  को  संवरी

3.25 pm, 15 feb 14

9 comments:

  1. बहुत खुबसूरत प्रेमाभिव्यक्ति !
    latest post प्रिया का एहसास

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  2. बहुत सुन्दर वैलेंटाइन प्रस्तुति

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  3. बहुत खूब ... प्रेम में पगे शेर हैं सभी ...

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  4. सुंदर भाव , शुभकामनायें !

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  5. बहुत ही सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति।

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  6. बहुत सुन्दर मन भावन ..

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