तेरे
प्यार
में
दिन
रात
का
ये
हाल
हुआ
तेरे संग देर रात तक जागे, हाँ साथ दिया
अब तेरे साथ की आदत ने मेरा साथ दिया
तेरे संग देर रात तक जागे, हाँ साथ दिया
अब तेरे साथ की आदत ने मेरा साथ दिया
तुझपर
ही
विश्वास
किया
तभी
तो
मुझे
प्यार
हुआ
नहीं होता कहीं प्यार, बात अपनी को असत्य किया
तेरे वादों की सत्यता को ही माना तुझसे प्यार किया
नहीं होता कहीं प्यार, बात अपनी को असत्य किया
तेरे वादों की सत्यता को ही माना तुझसे प्यार किया
दिल
का
लगाना
भी
कभी, कहीं खेल हुआ
तुझसे बंध कर अब मेरा सुख तेरा बिन कहाँ
तू मुझमें इतना समाया कि अब अपनी होश कहाँ
तुझसे बंध कर अब मेरा सुख तेरा बिन कहाँ
तू मुझमें इतना समाया कि अब अपनी होश कहाँ
7.40pm, 2 mar, 14
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteये विश्वास और प्रेम बना रहना चाहिए ... भावपूर्ण रचना ...
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