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Sunday, March 23, 2014

tere pyar mein तेरे प्यार में



 

तेरे  प्यार  में  दिन  रात  का  ये  हाल  हुआ
तेरे  संग  देर  रात  तक  जागे, हाँ  साथ  दिया
अब  तेरे  साथ  की  आदत  ने  मेरा  साथ  दिया

तुझपर  ही  विश्वास  किया  तभी  तो  मुझे  प्यार  हुआ
नहीं  होता  कहीं  प्यार, बात  अपनी  को  असत्य  किया
तेरे  वादों  की  सत्यता  को  ही  माना  तुझसे  प्यार  किया

दिल  का  लगाना  भी  कभी, कहीं  खेल  हुआ
तुझसे  बंध  कर  अब  मेरा  सुख  तेरा  बिन  कहाँ
तू  मुझमें  इतना  समाया  कि  अब  अपनी  होश  कहाँ
7.40pm, 2 mar, 14

2 comments:

  1. ये विश्वास और प्रेम बना रहना चाहिए ... भावपूर्ण रचना ...

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