चलो अपने प्यार को एक नयी संवरी छवि दें
तुम ऐसे मिलो मुझसे जैसे नई-नई मोहब्बत है
[3pm, 17feb, 14]
आओ अपनी पहचान को मनभावन रूप दें
ऐसे मिलो आकर बिछुड़ा दिल बरसों बाद मिला है
सजाओ इन राहों को अब सुनहरी सी मंजिल दें
मुझे अब उस राह ले चलो जहाँ साथ छूटे नहीं है
लाओ ये हाथ, मेरी लटों में उँगलियाँ यूँ फिराओ
लगे इनकी उलझन जिंदगी की गांठों को सुलझाए है
सुनो फिर एक बार मेरा हाथ यूँ कसकर थामो
जैसे धड़कन जिंदगी के लिए सांस की डोर थामे है
3.16pm, 19 mar, 14
बहुत सुन्दर .
ReplyDeleteNew Post : Hopes and Expectations
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteलेटेस्ट पोस्ट कुछ मुक्तक !
बढ़िया रचना स्नेह जी , धन्यवाद !
ReplyDeleteलोकल एरिया नेटवर्क क्या है ? - { What is a local area network ( L.A.N ) ? }
बहुत महीन सी भावों को समेटा ह आपने इस रचना में , पढ कर अच्छा लगा..
ReplyDeleteआशा है---भावों में समेटी आशाएं पूरी हों!!!
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