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Tuesday, March 25, 2014

Tumahra pyar तुम्हारा प्यार





चलो  अपने  प्यार  को  एक  नयी  संवरी  छवि  दें
तुम  ऐसे  मिलो  मुझसे  जैसे  नई-नई  मोहब्बत  है
  
 [3pm, 17feb, 14]
आओ  अपनी  पहचान  को  मनभावन  रूप  दें
ऐसे  मिलो  आकर  बिछुड़ा  दिल  बरसों  बाद  मिला  है


सजाओ  इन  राहों  को  अब  सुनहरी  सी  मंजिल  दें
मुझे  अब  उस  राह  ले  चलो  जहाँ  साथ  छूटे  नहीं  है


लाओ  ये  हाथ,  मेरी  लटों  में  उँगलियाँ  यूँ  फिराओ
लगे  इनकी  उलझन  जिंदगी  की  गांठों  को  सुलझाए  है


सुनो  फिर  एक  बार  मेरा  हाथ  यूँ  कसकर  थामो 
जैसे  धड़कन  जिंदगी  के  लिए  सांस  की  डोर  थामे
  है
3.16pm, 19 mar, 14

5 comments:

  1. बहुत महीन सी भावों को समेटा ह आपने इस रचना में , पढ कर अच्छा लगा..

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  2. आशा है---भावों में समेटी आशाएं पूरी हों!!!

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आपने अपना बहुमूल्य समय दिया एवं रचनात्मक टिप्पणी दी, इसके लिए हृदय से आभार.