वो जिसे मैंने चाँद समझा, चाँद छाया मात्र थी
परछाई पड़ी मुझपर, नही मिलन की बात सखी
4.26pm, 31dec, 13
अब कोई तुम्हारा लिखा ना बांचेगी
अब कोई तुमसे मीठी बातें ना करेगी
अब कोई तुमसे अनगिनत सवाल न पूछेगी
अब कोई तुम्हारे कानों में सिसकी ना भरेगी
अब कोई रातों को ना पुकारेगी
अब कोई खिली धूप में ना दुलारेगी
अब कोई वादों की याद ना दिलाएगी
अब कोई ना तुम्हारी यादों से झगड़ेगी
अब कोई गीत ना गुनगुनायेगी
अब कोई ना रूठेगी, ना मनाएगी
अब कोई आँखों से नेह ना बरसायेगी
अब कोई तुम्हारा नाम ले ना पुकारेगी
अब कोई नेह भरी उलाहना न देगी
अब कोई शब्दों से तुम्हे ना छुएगी
अब कोई तुम्हे हँसके ना बुलाएगी
अब कोई पगली सामने ना आएगी
1.30am, 20/12/13
भावो की
ReplyDeleteबेहतरीन........आपको भी नववर्ष की शुभकामनायें
bahut khub
ReplyDeleteसुंदर भाव अभिव्यक्ति ...प्यार की प्रकाष्ठा शायद पागलपन ही है
ReplyDeleteप्रीति की सुन्दर अदा का इजहार किया है आपने.
ReplyDeleteअच्छी भावाभिव्यक्ति
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ प्रीति जी
वाह...बहुत बढ़िया प्रस्तुति...आप को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो