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Tuesday, December 31, 2013

koi pagli कोई पगली


वो  जिसे  मैंने  चाँद  समझा,  चाँद छाया  मात्र  थी
परछाई  पड़ी  मुझपर,  नही  मिलन  की  बात  सखी

4.26pm, 31dec, 13

अब  कोई  तुम्हारा  लिखा  ना  बांचेगी
​​अब  कोई  तुमसे मीठी  बातें  ना  करेगी
अब  कोई  तुमसे  अनगिनत  सवाल  न  पूछेगी
​अब  कोई  तुम्हारे  कानों  में  सिसकी  ना  भरेगी  ​

​अब  कोई  रातों  को  ना  पुकारेगी
​अब  कोई  खिली  धूप  में  ना  दुलारेगी ​
​अब  कोई  वादों  की  याद  ना  दिलाएगी
अब  कोई  ना  तुम्हारी  यादों  से  झगड़ेगी

​अब  कोई  गीत  ना  गुनगुनायेगी
​अब  कोई  ना  रूठेगी,  ना  मनाएगी ​
​अब  कोई  आँखों  से  नेह  ना  बरसायेगी
​अब  कोई  तुम्हारा  नाम  ले  ना  पुकारेगी

​अब  कोई  नेह  भरी  उलाहना  न  देगी
​अब  कोई  शब्दों  से  तुम्हे  ना  छुएगी
अब  कोई  तुम्हे  हँसके  ना  बुलाएगी
​अब  कोई  पगली  सामने  ना  आएगी 

1.30am, 20/12/13

5 comments:

  1. भावो की
    बेहतरीन........आपको भी नववर्ष की शुभकामनायें

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  2. सुंदर भाव अभिव्यक्ति ...प्यार की प्रकाष्ठा शायद पागलपन ही है

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  3. प्रीति की सुन्दर अदा का इजहार किया है आपने.
    अच्छी भावाभिव्यक्ति

    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ प्रीति जी

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  4. वाह...बहुत बढ़िया प्रस्तुति...आप को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...

    नयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो

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