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Monday, December 16, 2013

bas shradhanjali बस श्रद्धांजलि

सबने आज फिर याद किया एक बेबस को
बस दे दी मौखिक श्रद्धांजलि दी लाचारी को
एक दिन बस याद कर लेना, हो गई इतिश्री
ऐसे ही हर घर से रूठ चली जायेगी कान्ति, श्री

रोज कितनी दामिनियों की चमक लूटी जाती हैं
मौन खड़े रहते या इधर-उधर बचके नजर चुराते हैं
साल भर अगर करें जरा सा निर्वाह जिम्मेदारी का
न झुके सर बारम्बार चहुँ ओर बेबस हो मानवता का
@Prritiy
9.53pm, 16/12/13

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर सटीक अभिवक्ति !
    नई पोस्ट चंदा मामा
    नई पोस्ट विरोध

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  2. सच कहा है ... सबको अपनी अपनी जिम्मेवारी का एहसास हो तो ऐसे सर न झुके देश, समाज और काल का ...

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