ब्लॉग में आपका स्वागत है

हृदय के उदगारों को शब्द रूप प्रदान करना शायद हृदय की ही आवश्यकता है.

आप मेरी शक्ति स्रोत, प्रेरणा हैं .... You are my strength, inspiration :)

Thursday, August 30, 2012

जब हम मिलेंगे-jab ham milenge

ये  ख़ामोशी  से  क्या  कह  दिया  तुमने
वो  गुल  मुस्काए  सुन  तेरी  बगिया  में (1.17pm)

सोचती  हूँ  मैं   ये, सोचती  हूँ  तुम्हे  जब  भी
क्या  मेरे  आँगन  में  आती  है, तुम्हारी  सोच  भी 
क्या  सोच  ही  तुम्हारी  मेरी  राहें  रहेंगी  सदा 
क्या  तुम  भी  सुन  लेते  हो  वो  मेरी  चुप  सी  सदा

यकीं  है  जिंदगी  के  मोड़  पर  हम  मिलेंगे  तुमसे  अक्सर
कैसे  होंगे  वो  पल  नमी  लिए  या  मुस्कान  लिए  सोचूं  पर
मिलेंगे  हम  अजनबी  से  या  होगा  दो  स्नेह  भरे  दिलों  का  सामना
गुजरे  लम्हों  की  होंगी  बातें  या  उस  आज  से  हमारा  तुम्हारा  होगा  सामना
12.01pm, 30/8/2012

6 comments:

  1. मिलेंगे हम अजनबी से या होगा दो स्नेह भरे दिलों का सामना
    गुजरे लम्हों की होंगी बातें या उस आज से हमारा तुम्हारा होगा सामना


    बेहतरीन पंक्तियाँ


    सादर

    ReplyDelete
  2. बड़ी सहजता से लिखी गई पंक्तियाँ,अतिसुंदर...|

    सादर.

    ReplyDelete
  3. बड़ी सहजता से लिखी गई पंक्तियाँ,,अतिसुंदर |

    ReplyDelete
  4. सुन्दर अभिव्यक्ति ...शुभकामनाएं..प्रिति..

    ReplyDelete
  5. क्या तुम भी सुन लेते हो वो मेरी चुप सी सदा ..bahut khub

    ReplyDelete

Thanks for giving your valuable time and constructive comments. I will be happy if you disclose who you are, Anonymous doesn't hold water.

आपने अपना बहुमूल्य समय दिया एवं रचनात्मक टिप्पणी दी, इसके लिए हृदय से आभार.