जब रातों में चाँदी बिखरी होती है
रात की रानी पुष्पित निखरी होती है
तरुवर शांत शीश झुकाए होते है
डालियों की नीड़ में पंछी मौन होते है
मन्द बयार बन तुम छू लेते हो
भोर लालिमायुक्त होती है
पत्तियाँ ओस से झिलमिलाती हैं
कलियाँ प्रस्फुटित हो मुस्काती हैं
मंत्रोचारण, अजान पवित्रता भर देते हैं
मेरे हृदय को प्रार्थना बन छू लेते हो
पर्वतशिखा रोशनी में चमकती हैं
तितलियाँ फूलों में मँडराती हैं
मछली नदी में जलक्रीड़ा करती है
नीरयुक्त बदली गगन में विचरती है
नयनों को चमक बन छू लेते हो
दिवस रात्री से मिलन करती है
कलरव करती खगटोली लौटती है
ममतामयी माँ शावक से लिपटती है
रम्य संध्या प्रीत जगाती है
मेरे होठों को मुस्कान बन छू लेते हो
रात की रानी पुष्पित निखरी होती है
तरुवर शांत शीश झुकाए होते है
डालियों की नीड़ में पंछी मौन होते है
मन्द बयार बन तुम छू लेते हो
भोर लालिमायुक्त होती है
पत्तियाँ ओस से झिलमिलाती हैं
कलियाँ प्रस्फुटित हो मुस्काती हैं
मंत्रोचारण, अजान पवित्रता भर देते हैं
मेरे हृदय को प्रार्थना बन छू लेते हो
पर्वतशिखा रोशनी में चमकती हैं
तितलियाँ फूलों में मँडराती हैं
मछली नदी में जलक्रीड़ा करती है
नीरयुक्त बदली गगन में विचरती है
नयनों को चमक बन छू लेते हो
दिवस रात्री से मिलन करती है
कलरव करती खगटोली लौटती है
ममतामयी माँ शावक से लिपटती है
रम्य संध्या प्रीत जगाती है
मेरे होठों को मुस्कान बन छू लेते हो
बहुत सुंदर
ReplyDeleteअच्छी रचना
बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteकिसी का स्पर्श जीवन में कितनी खुशियां भर देता है ... जादुई स्पर्श ...
ReplyDeleteबहुत शानदार र भावसंयोजन ,आपको बहुत बधाई
ReplyDeleteआपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको
और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है बस असे ही लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
SARVOTAM
ReplyDeleteSARVOTAM
ReplyDeleteutkrisht rachna ..is kavita ki jitni bhi tarif ki jaaye kam hai ..
ReplyDeleteपर्वतशिखा रोशनी में चमकती हैं
तितलियाँ फूलों में मँडराती हैं
मछली नदी में जलक्रीड़ा करती है
नीरयुक्त बदली गगन में विचरती है
नयनों को चमक बन छू लेते हो