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Tuesday, January 24, 2012

ये दिल लगाया

हमने  तो  ये  दिल  लगाया  है  जबसे
दुनिया  का  कोई डर  नहीं  रहा  तबसे

जब से  दिल ने  प्यार  को  पूजा  माना  है
सारा  संशय ही  तब  दिल  से  सिधारा  है
दुआओं  में  हो  तुम शामिल  बिन  ज्ञान
मन  आंगन  के  बने  हो  स्थाई मेहमान
दुनिया  भी हार  जाती  है  नेह  के  सामने
प्रभु  जो  आन  बसते  हैं  हर  सच्चे  दिल  में

9.53pm, 15 jan 2012






10 comments:

  1. दुनिया भी हार जाती है नेह के सामने
    प्रभु जो आन बसते हैं हर सच्चे दिल में


    आपकी प्रस्तुति लाजबाब है प्रीति जी.
    मेरे ब्लॉग पर आप जब भी आतीं
    हैं,अपने सुवचनों से मेरा उत्साह और
    मनोबल बढ़ा जाती हैं.

    आपके सकारात्मक प्रीतिमय भाव
    प्रसन्नता प्रदान करते हैं.

    सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.

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  2. बहुत सुन्दर रचना... मैंने भी इस पर कोशिश की है... जल्द ही आपके सामने प्रस्तुत होगी

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  3. Jab dil hi lag gya hai to der kaisa.........
    gehri abhivyakti

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  4. RIGHTLY SAID....YOU HAVE DARE TO SAY IT

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  5. सुंदर गहरी अभिव्यक्ति बहुत अच्छी रचना,..

    NEW POST --26 जनवरी आया है....

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  6. दिल लगाने वाले नहीं डरते
    डरपोक दिल कहाँ रखते
    कृपया इसे भी पढ़े-
    क्या यह गणतंत्र है
    क्या यही गणतंत्र है

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आपने अपना बहुमूल्य समय दिया एवं रचनात्मक टिप्पणी दी, इसके लिए हृदय से आभार.