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Monday, January 20, 2014

ja ud ja जा उड़ जा


कुछ  तेरी  नजर  बदली  सी  है
कुछ  हमने  मौन  से  भांप  ली  है
9.42.am

जाने  क्या  बात  है  तेरी  वफ़ा  में
तेरे  करीब  आये  तूने  दूरी  कर  ली

जाने  क्या  बात  है  तेरी  नजर  में
मिलाई  हमसे  नजर,  नजर  बदल  ली

हम  तुझे  कैसे  क्यूँ  प्रमाण-पत्र  देंगे
तेरे  बदलते  वादों  इरादों  ने  साक्षी  दी

एक  पल  को  दुनिया  भुलाई,  नेह  से  भर  दिया
फिर  दुनिया  की  रंगीनियों  ने  नियत  बहका  दी

वफ़ा  की  कसमों  से  किया  बरी,  थी  कभी  तूने  ली
जा  हमने  तेरे  परों  को  उड़  जाने  की  स्वछंदता  दे  दी
11.58 am

 हम  चुप  चाप  चले  जायेंगे  तेरी  दुनिया  से
जैसे  कभी  तेरी  पलकों  के  तले  स्वप्न  न  पले थे
12.12 pm, 8/8/13

4 comments:

  1. गहन वेदना लिए बहुत ही भावपूर्ण रचना...
    http://mauryareena.blogspot.in/

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  2. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति गुरुवारीय चर्चा मंच पर ।।

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  3. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति...

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