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Thursday, January 23, 2014

mere mitra .. मेरे मितरा







बग़ावत  करनी  पड़ेगी  ये  जीने  नही  देते  हैं
ख्याल  मेरे  जब  देखो  तुमसे  लिपटे  रहते  हैं

गुनाह  किया  है 
ये  अक्सर  मैंने
तुमपर  लिखा  कुछ
तुम्हे  ही  नही  सुनाया
4.40pm, 15 jan


तुमने  साथ  निभाने  केहंसी  देने  की  सौं  को  भले    निभाया
ना  मनाने  कीदूरी  करने  की  बात  को  मेरे  मितरा  खूब  निभाया
8.05pm

बीता  एक  पखवाड़ा  तुम्हे  सुने
ना  सुना  भले  पर  याद    आते
यूँ  सोचों  में  हरदम    समाये  रहते
मानते  तुम्हे  इस  दिल  से  भी  दूरी  निभाते
8.15pm

वफ़ा  में  भले  रही  जरा  सी  बेवफाई
बेवफाई  तुमने  मितरा  दिल  से  निभायी
8.48pm 17jan 2014

हमने गम में भी वो रिश्ता निभाया है
जिसे तुमने ख़ुशी में ख़ुशी से ठुकराया है

3.10pm, 18 dec, 13
 

7 comments:

  1. वफ़ा में भले रही जरा सी बेवफाई
    बेवफाई तुमने मितरा दिल से निभायी
    बहुत सुन्दर लिखा है !
    नई पोस्ट मेरी प्रियतमा आ !
    नई पोस्ट मौसम (शीत काल )

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  2. प्रभावशाली प्रस्तुती....

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  3. सभी बहुत उम्दा. यह शेर बहुत पसंद आया...
    वफ़ा में भले रही जरा सी बेवफाई
    बेवफाई तुमने मितरा दिल से निभायी

    बधाई प्रीति.

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  4. .शब्दों को चुन-चुन कर तराशा है आपने ...प्रशंसनीय रचना।

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