सभी जी लेते है किसी को बिछडन ले जाती नहीं
हम भी जिन्दा हैं सिसकते इस जमीं पर, मरे नहीं
दुआ करते हैं फिर भी ये मौत हमें क्यूँ ले जाती नहीं
1.33pm,
शब्द बहुत हैं मेरे हृदय, होंठ में
सोच ये है कि बेमोल न हो जायें जहाँ में
7.05pm
तेरी खामोशियाँ बहुत बोलती हैं
उन्हें जिसे कहती हैं उन्हें भी जिनसे नहीं कहती कुछ
7.24pm
मेरी खामोशियों की चीत्कार गूंजी थी
तुम न सुन सके, मेरी तन्हाई ने सुनी थी
7.33pm
तुम जले हो ये कहते हो अक्सर ही तुम
तो ये धुंआ कही और क्यों उठ रहा है
7.73 pm
हमने जो पूछे तुमसे सवाल सरे महफ़िल
न कह पाओगे न चुप रह पायेगा तुम्हारा दिल
7.47pm, 23 /12/12
मेरी खामोशियों की चीत्कार गूंजी थी
ReplyDeleteतुम न सुन सके, मेरी तन्हाई ने सुनी थी ...
बहुत खूब ... लाजवाब पंक्तियाँ ... तन्हाई सब कुछ सुन लेती है ...
bahut sundar..
ReplyDeletewow
ReplyDeleteलाजवाब!
ReplyDeleteसादर