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Monday, December 3, 2012

tum jo aaye तुम जो आए


तुम जो आए
संग मुस्कान लाए
पलकों में हँसी जो लाए
कई कोहिनूर झिलमिलाए

पूरब की लाली गालों पर छाई
चांदनी देहयौवन में समाई
चंचलता, पवन की, चाल में आई
उज्ज्वलता आकर रूह में समाई

कोयल सी कूक उठी मेरी बोली
आम्ररस में ज्यों हो घोली
मन आँगन में तितलियाँ डोली
फूलों में डूब मदमस्त हो ली

उड़ चली मैं पंख फैलाए
धरती-अम्बर मुझ में समाए
बहारें सजाए
तुम जो आए

6:17p.m., 17feb,10

14 comments:

  1. आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (05-12-12) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
    सूचनार्थ |

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  2. बहुत बढ़िया ।बधाई आदरेया

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  3. बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको .

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  4. तुम जो आये है खिला, मन का ये संसार ।
    चहक रहा है अंग-अंग, आया है बहार ।।

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  5. पूरब की लाली गालों पर छाई
    चांदनी देहयौवन में समाई
    चंचलता, पवन की, चाल में आई
    उज्ज्वलता आकर रूह में समाई

    हर्षित मन के गगन पर सुंदर इंद्रधनुषी भाव.....

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  6. बहुत प्यारी रचना....
    कोयल सी कूक उठी मेरी बोली
    आम्ररस में ज्यों हो घोली
    मन आँगन में तितलियाँ डोली
    फूलों में डूब मदमस्त हो ली
    बहुत खूब...
    अनु

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  7. खुबसुरत रचना.


    सादर.

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  8. This comment has been removed by the author.

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  9. खुबसूरत अभिवयक्ति.....

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  10. बहुत खूब !तुम जो आये .सब सावन आये .

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  11. उड़ चली मैं पंख फैलाए
    धरती-अम्बर मुझ में समाए
    बहारें सजाए
    तुम जो आए...खुबसूरत अभिवयक्ति.....

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आपने अपना बहुमूल्य समय दिया एवं रचनात्मक टिप्पणी दी, इसके लिए हृदय से आभार.