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Saturday, February 13, 2010

तुम हो




आजकल मेरे गीतों में बस तुम हो
 सूरज की लाली, चंदा की चांदनी तुम हो
 मेरे गेसू उड़ाते पवन के झोंकों में तुम हो
 वेणी पर सजा पुष्पहार बस तुम हो


माथे पर सजी बिंदिया तुम हो

 नजरों से बचाता कजरा तुम हो
 होठों पर छाई सुर्खी तुम हो
 छलक पड़ती जो बूंदें तुम हो

हृदय का मधुर स्पंदन तुम हो

 नैनो में तैरते स्वप्न तुम हो
 विरह वर्षा फुहार तुम हो
 मेघों का अंधकार तुम हो

टूटा हर स्वप्न, वचन तुम हो

गीतों में छिपा क्रंदन तुम हो
मैंने जिसे खोया तुम हो
मुझे जिसने खोया तुम हो
9:18 p.m., 13 feb, 10.


3 comments:

  1. Hello Priti ji bahut sundar eak dam satik kavita..Good Subhakamnayan apko..

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  2. मैंने जिसे खोया तुम हो

    मुझे जिसने खोया तुम हो


    inn do panktiyon ki vedna puri kavita ko jivit kar deti hai.. bahut sunder.

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  3. टूटा हर स्वप्न, वचन तुम हो
    गीतों में छिपा क्रंदन तुम हो
    मैंने जिसे खोया तुम हो
    मुझे जिसने खोया तुम हो waah bahut khub ..

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