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Friday, October 25, 2013

Na tum, na hum ना तुम, ना हम


ना तुम्हे वक़्त होगा
ना हमें फुर्सत
जिन्दगानियां यूँ तो बसर होंगी
पर खालीपन से तरसेंगी
बिजली वहां भी कौन्धेगी
मेघ यहाँ भी गरजेंगे
यादों से भरी पलकें होंगी
पर बूँदें ना बरसेंगी
न गर्जन, न कम्पन,
न पंखुड़ियों की खिलखिलाहट
शब्दों का नर्तन तो होगा
पर सन्नाटे न फुस्फुसायेंगे
ना तुम बुलाओगे
ना हम पुकारेंगे
जिंदगी चली तो चलेगी
पर वीराने न जगमगायेंगे

1.38pm, 20dec,09

8 comments:

  1. खुबसूरत अभिवयक्ति......

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  2. ना तुम बुलाओगे
    ना हम पुकारेंगे
    जिंदगी चली तो चलेगी
    पर वीराने न जगमगायेंगे--------

    ना बुलाना और ना जाना यही तो अपनापन है
    प्रेम व्यक्त करने का एक नया अंदाज
    बहुत सुंदर----
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    सादर-----

    आग्रह है--- मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों--
    करवा चौथ का चाँद ------

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  3. सच है जीवन चलता रहता है ... बस समय ही नहीं होता किसी के पास ...
    पर ये एहसास समय बीत जाने पे होता है की क्या खोया क्या पाया ...

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  4. भावप्रवण कविता। एक शेर याद आ गया।
    गुजर तो जाएगी तेरे बगैर भी लेकिन
    बहुत उदास बहुत बेकरार गुजरेगी।

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  5. This comment has been removed by the author.

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  6. समय निकालो आप कुछ, बाँटो कुछ उपहार।
    अपने जीवन में करो, आशा का संचार।।
    --
    सुप्रभात...।
    आरोग्यदेव धन्वन्तरी महाराज की जयन्ती
    धनतेरस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।

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  7. जिंदगी चलेगी चलती रहेगी
    बिन तेरे पर हर पल खलेगी।

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